बिहार राज्य खाद्य निगम असैनिक कटिहार के ज्ञापांक 780 दिनांक 11.06.2015 के आलोक में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. गबन के आरोपी मुकुल सिन्हा समस्तीपुर जिले के खाजिदपुर के निवासी हैं.
विदित हो कि दिनांक 25.08.2014 को श्री कुमार को आंशिक प्रभार दिये जाने के ठीक दो दिन पहले क्रमश: 23, 24 अक्तूबर 2014 को तत्कालीन एजीएम मुकुल सिन्हा द्वारा 59 लाख रुपये व 27 सौ क्विंटल खाद्यान्न बगैर वितरित किये वितरण पंजी में दर्ज कर दिया गया था.
ज्ञापांक 820 दिनांक 9 जुलाई 2015 को नोटिस तामील कराया गया था कि गबन की राशि को यथाशीघ्र विभाग के खाते में जमा किया जाय, पर ऐसा नहीं करने पर मामला दर्ज कराया गया है. आजमनगर प्रखंड में मुकुल सिन्हा का कार्यकाल संदेहास्पद पाये जाने पर तत्कालीन एसडीओ ने जांच के आदेश तत्कालीन एमओ प्रमोद झा को दिया था.
उस समय एमओ के द्वारा तत्कालीन एसडीओ महेंद्र पाल को सौंपी रिपोर्ट में एजीएम के कार्यकाल संदेहास्पद पाये जाने पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी किया गया था, पर प्रशासनिक लापरवाही के कारण मामला दर्ज नहीं हो पाया था. हालांकि गरीबों का निवाला छीनने वाले गोदाम प्रबंधक मुकुल सिन्हा पर एक वर्ष बाद आखिरकार मामला दर्ज हो ही गया.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या एजीएम ने अकेले गबन किया है. बहरहाल मामला दर्ज होने के बाद पुलिस मामले के अनुसंधान में जुट गयी है. जांच में यदि सभी मामले सही पाये गये तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है.