बलरामपुर . बलरामपुर प्रखंड क्षेत्रों में अन्य वर्ष की तरह इस वर्ष लोग आम का स्वाद नहीं ले पायेंगे. आम की किल्लत होने से बाजार में उंचे दामों पर आम मिलेगा जो हर कोई खरीदकर खाने से वंचित होगा. बलरामपुर प्रखंड क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन में लगाये आम के बगीचे प्रकृति आपदा के कारण चौपट हो चुका है. आम के बगान में आये आंधी से हजारों क्षेत्र के बगीचे से टिकोले झड़ गये हैं. आंधी के कारण पेड़ों में गहराये मंजर को देख कर आम का आनंद लेने वालों को आंधी में झड़े टिकोले के आचार से काम चलाना होगा. आम मामले में भी खुशहाल लोगों को आंधी ने कंगाल कर दिया है. इन पेड़ों की भरपायी में कई साल लगेंगे और लोग अपने तरीक से आम खाने के लिए कुछ साल इंतजार करना पड़ेगा. जिसे जमीन नहीं भी है तो उनके घर के बगल में ही सही एकाध आम के पेड़ तो मिल ही जायेंगे. यहां के लोगों के आम खाने का तरीका निराला है. आम के मौसम में लोगों का अधिकांश समय बगानों में बितता है. अगर बगान मालिक ने अपना बगीचा बेचने के समय ही तय हो जाती है तो यहां लोग खाने के समय काट कर आम नहीं खाते बल्कि आम का डंठल वाला हिस्सा काट कर पानी के बाल्टी में रख दिया जाता है और लोग खाते हैं. शादी-विवाह में तो आम की कई किस्में परोसी जाती है. मालदह, बंबई, गुलाबखास, सिनुरिया, फजली, सूर्जापुरी, लंगड़ा, जर्दालु बरात में परोसने वाली आम की खास किस्म है. खाना खा चुकने के बाद आम खाने की बारी आती है और किसने कितने आम खाये यह चर्चा होती है. लेकिन इन तमाम बातों को इस बार आंधी ने झूठला दिया है.
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आंधी ने आम की फसल को किया नुकसान
बलरामपुर . बलरामपुर प्रखंड क्षेत्रों में अन्य वर्ष की तरह इस वर्ष लोग आम का स्वाद नहीं ले पायेंगे. आम की किल्लत होने से बाजार में उंचे दामों पर आम मिलेगा जो हर कोई खरीदकर खाने से वंचित होगा. बलरामपुर प्रखंड क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन में लगाये आम के बगीचे प्रकृति आपदा के कारण […]
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