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432 छात्रों पर हैं तीन शिक्षक

कटिहार : जिला मुख्यालय में स्थित एकमात्र राजकीय विद्यालय (जिला स्कूल) इन दिनों सरकारी उदासीनता का दंश ङोल रहा है. कभी यह विद्यालय कटिहार जिले का गौरव हुआ करता था. लेकिन आज बदहाल है. स्थापना के बाद न केवल इस विद्यालय के छात्र-छात्रओं ने विभिन्न प्रशासनिक पदों पर जाकर यहां का नाम रोशन किया है, […]

कटिहार : जिला मुख्यालय में स्थित एकमात्र राजकीय विद्यालय (जिला स्कूल) इन दिनों सरकारी उदासीनता का दंश ङोल रहा है. कभी यह विद्यालय कटिहार जिले का गौरव हुआ करता था. लेकिन आज बदहाल है. स्थापना के बाद न केवल इस विद्यालय के छात्र-छात्रओं ने विभिन्न प्रशासनिक पदों पर जाकर यहां का नाम रोशन किया है, बल्कि इस विद्यालय में कार्यरत शिक्षक विभिन्न जिलों में आज जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बन कर सेवा दे रहे हैं. हालांकि यह विद्यालय अपने स्थापना काल से ही संघर्ष कर रहा है. विद्यालय ने संघर्ष के बीच रहते हुए सृजन का काम भी किया है.

जानकार बताते हैं कि वर्ष 1987 में जिला स्कूल के रूप में इसकी स्थापना हुई थी. इस समय स्थानीय महेश्वरी एकेडमी के दो कमरे में चलता था. तमाम कठिनाई व संसाधन के अभाव के बीच भी उस छात्र-छात्रओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही थी. हालांकि कोढ़ा में भी राजकीय विद्यालय है.
तीन नियोजित शिक्षक के भरोसे विद्यालय
इस विद्यालय में तीन नियोजित शिक्षक हैं. विद्यालय में 432 छात्र-छात्रएं नामांकित हैं. तीन नियोजित शिक्षक के भरोसे ही इस विद्यालय के छात्र-छात्रओं का भविष्य निर्भर है. पर्याप्त शिक्षक के अभाव में पठन-पाठन प्रभावित है. पहले यहां सभी शिक्षक नियमित थे. नियमित शिक्षक का पदस्थापन विभाग के प्रशासनिक पदों पर हो गया. अब सिर्फ तीन नियोजित शिक्षक ही बचे हैं.
संसाधन का अभाव
महेश्वरी एकेडमी में करीब 17 वर्षो तक इस विद्यालय का संचालन हुआ है. इसके बाद यह विद्यालय वर्ष 2004 में शरीफगंज में बने भवन में शिफ्ट हुआ. जानकार बताते हैं कि पूर्व मंत्री डॉ रामप्रकाश महतो के पहल पर चौधरी स्टेट ने शरीफगंज में 20 डिसमिल जमीन दिया. जिस पर भवन निर्माण हुआ. वर्तमान में यही विद्यालय का संचालन हो रहा है. यहां न तो खेलकूद का मैदान है और न ही अन्य आधारभूत संरचना ही उपलब्ध है. सरकार 20 डिसमिल भूमि पर प्राथमिक विद्यालय स्थापित करती है. लेकिन राजकीय उच्च विद्यालय 20 डिसमिल भूमि पर बना है.
विज्ञान व भाषा की नहीं होती पढ़ाई
इस विद्यालय में विज्ञान, गणित व भाषा की पढ़ाई नहीं होती है. पदस्थापित तीन नियोजित शिक्षक में दो सामाजिक विज्ञान के हैं तथा एक शारीरिक शिक्षा के हैं. जबकि गणित, विज्ञान व भाषा के शिक्षक का पद खाली है. ऐसे में इन विषयों की पढ़ाई प्रभावित है. विद्यालय के छात्र-छात्रओं, कोचिंग, ट्यूशन पर निर्भर रहना पड़ता है.
शिक्षक बन गये डीइओ
इस विद्यालय के प्राचार्य रहे अब्दुल खलिक वर्तमान में सहरसा के जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं एवं बद्री नारायण मंडल मधेपुरा में जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं. शिक्षक हिमांशु कुमार पूर्णिया से जिला शिक्षा पदाधिकारी जन शिक्षा के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.
कहते हैं पूर्व शिक्षक
इस विद्यालय के पूर्व शिक्षक व जिला शिक्षा पदाधिकारी (जन शिक्षा) पूर्णिया से सेवानिवृत्त हुए हिमांशु कुमार बताया कि राजकीय विद्यालय कटिहार के शिक्षक होने पर उन्हें गर्व है. इस विद्यालय के छात्र-छात्र देश के विभिन्न हिस्से में बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं. विद्यालय की वर्तमान स्थिति के लिए राज्य सरकार की नीति जिम्मेदार है. यह विद्यालय पहले महेश्वरी एकेडमी के परिसर में चलता था. पूर्व मंत्री डॉ रामप्रकाश महतो के पहल ने चौधरी स्टेट ने जमीन दिया. जिस पर भवन निर्माण हुआ.
कहते हैं प्रधानाध्यापक
वद्यालय के प्रधानाध्यापक रूपक कुमार ने इस संदर्भ में बताया कि शिक्षक के नहीं रहने से कठिनाई होती है. खासकर विज्ञान, गणित व भाषा की पढ़ाई प्रभावित है.

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