भभुआ सदर : सुबह के 10 बज रहे थे. अज्ञात नंबर से फोन आता है हैलो, हैलो मैं फलाने बैंक का मैनेजर बोल रहा हूं. आपका एटीएम रिन्यूवल किया जा रहा है, कृपया अपना एटीएम नंबर व उस पर लिखा पिन नंबर बताएं. इस तरह के फोन कॉल आपको भी आये, तो सतर्क रहें. किसी को भी अपना एटीएम नंबर व पिन कभी नहीं बताएं. पुलिस और बैंक प्रशासन की तरफ से भी साइबर ठगों से बचने व एटीएम तथा बैंक संबंधी जानकारी किसी भी तरह से नहीं देने को लेकर प्रचार-प्रसार व जागरूकता अभियान चलाये जाते हैं, लेकिन ग्रामीण स्तर पर तकनीकी रूप से अशिक्षित लोग साइबर ठगों के शिकार हो जाते हैं.
साइबर ठग हुए सक्रिय
कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. साइबर ठगों का गिरोह भी सक्रिय हो गया है. ये ठग कभी एटीएम कार्ड के रिन्यूवल के लिए, तो कभी ब्लॉक होने की झूठी सूचना देकर ग्राहकों से उनके पिन नंबर या कार्ड नंबर हासिल कर रहे हैं. एटीएम पिन मिलते ही ये ठग ऑनलाइन शॉपिंग कर या फिर सीधे ग्राहक के खाते से पैसे उड़ा देते हैं. इन ठगों के शिकार वे लोग ज्यादा हो रहे हैं, जो गांवों में रहते हैं. तकनीकी रूप से शिक्षित नहीं होने पर भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ जाता है.
पुलिस नहीं कर पाती मामलों का निष्पादन
ऑनलाइन ठगी करनेवालों को ट्रेस करना पुलिस प्रशासन के लिए आसान नहीं होता. कई ठग तो एटीएम का क्लोन बना कर, उससे शॉपिंग कर ले रहे हैं. ऐसे भी कई मामले सामने आये हैं जब ग्राहकों के खाते से पैसे निकल गये हैं और उन्हें पता भी नहीं चल पाया. इन मामलों में पुलिस भी कुछ खास नहीं कर पाती है. बदमाश आमतौर पर फर्जी सिम और मोबाइल का उपयोग करते हैं. उसके बाद फोन लगा खुद को बैंक मैनेजर बताते हुए एटीएम की जानकारी लेते हैं और ऑनलाइन ही शॉपिंग कर पेमेंट कर देते हैं.
प्रोफेसर से छात्र तक हो चुके हैं शिकार
ऐसा नहीं है कि साइबर ठगों के हाथ ग्रामीण व तकनीकी रूप से कम पढ़े लिखें लोग ही लूटे गये हैं बल्कि साइबर ठगों के भ्रामक जाल में प्रोफेसर से लेकर छात्र तक अपनी कमाई को लूटा चुके हैं.
हाल-फिलहाल में पटेल कॉलेज के एक प्रोफेसर साहब साइबर ठगों के भ्रम जाल में फंस कर अपनी गाढ़ी कमाई के 92 हजार रुपये लुटवा चुके हैं. उन्हें यह जानकारी थी कि इस प्रकार के कॉल पर जानकारी नहीं देनी है, लेकिन तकनीकी जानकारी नहीं होने के चलते वह फंस गये. इसी प्रकार दतियांव के रहनेवाले व पटना में रह कर प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र दीपक ने तो जानकारी रहने के बावजूद ठगे के आये कॉल पर अपने एटीएम पिन की जानकारी दे दिये. उनके खाते से 52500 रुपये की तत्काल ऑनलाइन खरीदारी का पेमेंट कर छात्र के खाते को शून्य पर ला दिया. ऐसे अनेक उदाहरण हैं.
अपना एटीएम कार्ड व पिन नंबर किसी को न बतायें. चाहे वह बैंक, आइबीए, सरकारी एजेंसी, दोस्त, पारिवारिक सदस्य या फिर कोई और क्यों न हो
अपना एटीएम पिन नियमित रूप से बदलते रहें
डेबिट कार्ड पर पिन न लिखें व न ही कभी कार्ड के साथ लिख कर रखें
लेनदेन के दौरान एटीएम कक्ष में किसी अनजान व्यक्ति को अंदर न आने दें या लेनदेन पूरा करने के लिए किसी अजनबी की सहायता नहीं लें.
एटीएम, पीओएस टर्मिनल में पिन दर्ज करते समय की-पैड को छिपा लें
कभी भी अपनी लेनदेन पर्ची को एटीएम कक्ष में न फेंके क्योंकि, उसमें खाते का विवरण होता है.
जब तक एटीएम मूल स्क्रीन पर नहीं लौट आती और हरी बत्ती नहीं जलने लगती तब तक इंतजार करें
होटल, दुकानों में कार्ड का प्रयोग हमेशा अपने सामने करने को कहें.
कभी भी अनजान अस्थायी स्टॉल पर लगी पीओएस मशीन पर कार्ड स्वाइप न करें
जब आपको नया कार्ड प्राप्त हो, तो तत्काल अपना पुराना कार्ड रुकवा दें या उसे नष्ट कर दें
सभी लेनदेन का एसएमएस अलर्ट प्राप्त करने के लिए अपने बैंक शाखा में मोबाइल नंबर रजिस्टर करा दें
कार्ड खोने पर उसे तत्काल अपने बैंक के नंबर पर संपर्क करते हुए अपने कार्ड को हॉटलिस्ट करा दें.