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जिले में पांच घंटे भी नहीं रहती बिजली !

धोखाधड़ी. पीएचसी में 15 से 20 घंटे जेनेरेटर चलाने का बनाया जा रहा बिल भभुआ (कार्यालय) : जिले में पांच घंटे भी बिजली नहीं रहती है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बिजली कटने के बाद चल रहे जेनेरेटर के आंकड़े बता रहे हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जेनेरेटर […]

धोखाधड़ी. पीएचसी में 15 से 20 घंटे जेनेरेटर चलाने का बनाया जा रहा बिल
भभुआ (कार्यालय) : जिले में पांच घंटे भी बिजली नहीं रहती है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बिजली कटने के बाद चल रहे जेनेरेटर के आंकड़े बता रहे हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जेनेरेटर के बिल भुगतान पर नजर डालने पर पाया गया है कि बिजली के अभाव में कमोवेश हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 15 से 20 घंटे जेनेरेटर चल रहे हैं.
एक तरफ सूबे के मुख्यमंत्री व बिजली विभाग दावा कर रहा है कि हम ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे व शहरी क्षेत्रों में 20 से 22 घंटे बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं. लेकिन, मुख्यमंत्री व बिजली विभाग के दावों को झुठलाते हुए स्वास्थ्य विभाग में जेनेरेटर के बिल भुगतान पर नजर डालें, तो 5 से 10 घंटे भी बिजली नहीं रहती. इसकी जब पड़ताल की गयी, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. उदाहरण के तौर पर जब हमने रामपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जेनेरेटर बिल के भुगतान को देखा, तो पाया कि रामपुर में तो पांच घंटे भी बिजली नहीं रहती है.
चार माह का बिल देखने पर पता चला कि कभी भी पांच घंटे से ज्यादा रामपुर में बिजली नहीं रही है. बिल भुगतान की जब हमने पड़ताल की, तो पता चला कि महीने में छह-छह सौ घंटा बिजली के अभाव में जेनेरेटर चलते हुए दिखा गया है और छह-छह सौ घंटे जेनेरेटर बिल का भुगतान किया गया. ऐसा नहीं है कि यह खेल केवल रामपुर में चल रहा है. यही स्थिति कमोवेश प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर है, जहां 15 से 20 घंटे बिजली कटौती दिखा जेनेरेटर का बिल निकाला जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्सिंग से चल रहे जेनेरेटर के जरिये सरकारी खजाने को लूटा जा रहा है और स्वास्थ्य विभाग हो या प्रशासन इस पर चुप्पी साधे बैठा हुआ है.
ऐसा नहीं है कि जेनेरेटर के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में चल रहे तेल के खेल से कोई अनभिज्ञ है. पिछले दिनों सदर अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के बैठक में भी यह मामला बड़े जोर-शोर से सदस्यों द्वारा उठाया गया था. इसके बाद बैठक में निर्णय लिया गया था कि जेनेरेटर के बिल का भुगतान बिजली विभाग से बिजली की उपलब्धता मंगाने के बाद ही की जायेगी.
प्रखंडवार करायी जायेगी जांच
इस बाबत डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि यह काफी गंभीर मामला है. हाल के वर्षों में प्रखंडों में 18 घंटे से कम बिजली कभी नहीं रही है. फिर भी प्रशासन व बिजली विभाग के अधिकारियों की एक टीम बना प्रखंडवार जांच करायी जायेगी. अगर, यह मामला सही पाया जाता है, तो इसके लिए जो भी लोग दोषी होंगे, उन पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

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