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अस्पताल के कर्मचारियों को आठ माह से वेतन नहीं

भभुआ (सदर) : अस्पताल कर्मचारियों को आठ माह से पड़े हुए हैं वेतन के लाले. ये हाल है जिले के स्वास्थ्य विभाग का. सदर अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी पिछले आठ माह से बिना वेतन के काम कर रहे हैं. आठ माह से रूके वेतन के चलते कर्मचारियों सहित डॉक्टरों का हाल बिगड़ गया है. […]

भभुआ (सदर) : अस्पताल कर्मचारियों को आठ माह से पड़े हुए हैं वेतन के लाले. ये हाल है जिले के स्वास्थ्य विभाग का. सदर अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी पिछले आठ माह से बिना वेतन के काम कर रहे हैं.
आठ माह से रूके वेतन के चलते कर्मचारियों सहित डॉक्टरों का हाल बिगड़ गया है. सबसे बुरी स्थिति कर्मचारियों की है. वेतन नहीं मिलने के चलते घर का तो बजट बिगड़ ही गया है साथ ही बाजार में भी उधारी करनी पड़ रही है.
एक तरफ जहां नियमित सहित संविदा डॉक्टर व कर्मचारी वेतन का अभाव झेलने पर मजबूर हैं, तो दूसरीतरफ विभाग आवंटन नहीं होने का रोना रो रहा. सदर अस्पताल के कुछ कर्मियों का कहना था कि बीते माह अगस्त में 30 लाख रुपये वेतन भुगतान के लिए आये थे, लेकिन इस पैसे को सांठ-गांठ करके कर्मियों को वेतन न देते हुए एनजीओ के ठेकेदारों को दे दिया गया.
कर्मचारियों के इस आरोप पर सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक अजय कुमार का कहना है कि केवल सदर अस्पताल के विभागों के डॉक्टरों व कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए एक करोड़ रुपये चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा पिछले कुछ माह से आवंटन ही नहीं भेजा जा रहा है. जहां तक अगस्त में 30 लाख रुपये आने की बात है, तो वह व्यावसायिक मद का पैसा था, जिसे अस्पताल में रखरखाव पर खर्च किया जाना था. वह पैसा कर्मियों के वेतन के लिए नहीं था.
क्या है मानदेय कर्मचारियों की स्थिति
: सदर अस्पताल के डॉक्टरों व कर्मचारियों का वेतन जहां आठ माह से रुका पड़ा है, वहीं सदर अस्पताल की व्यवस्था संभाले 43 मानदेय कर्मचारी भी पिछले 30 माह से मानदेय के अभाव को झेलने को मजबूर हैं. मानदेय कर्मियों का मामला हाइकोर्ट और स्वास्थ्य विभाग के बीच लटका पड़ा है. इसके चलते उन्हें भी 30 माह से मानदेय के लाले पड़े हुए हैं. सदर अस्पताल में मानदेय कर्मचारी के रूप में व्यवस्था संभाले प्रीतम तिवारी व मो रहमत ने बताया कि कुछ दिन पूर्व डीएम द्वारा मानदेय कर्मियों की वेतनादि की फाइल विभाग से तलब की गयी थी, तो लगा था कि अब वेतन मिल जायेगा और बिगड़ी हालत सुधर जायेगी. लेकिन, अब तक विभाग द्वारा मानदेय देने के संबंध में निर्णय नहीं लिये जाने के कारण निराशा है.

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