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स्कूल से वंचित बच्चे चुन रहे कूड़ा-कचरा

स्कूल से वंचित बच्चे चुन रहे कूड़ा-कचरा कल्याणकारी योजनाएं नहीं उतरी धरातल पर प्रतिनिधि, भभुआ (नगर) बच्चों में शैक्षणिक माहौल पैदा करने व गरीब तबके के बच्चों को स्कूलों में पहुंचाने के लिए सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. सरकार द्वारा मुफ्त में साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति, मैट्रिक व इंटर में प्रथम व […]

स्कूल से वंचित बच्चे चुन रहे कूड़ा-कचरा कल्याणकारी योजनाएं नहीं उतरी धरातल पर प्रतिनिधि, भभुआ (नगर) बच्चों में शैक्षणिक माहौल पैदा करने व गरीब तबके के बच्चों को स्कूलों में पहुंचाने के लिए सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. सरकार द्वारा मुफ्त में साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति, मैट्रिक व इंटर में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करनेवाले बच्चों को प्रोत्साहन राशि, मीड डे मिल योजना, बच्चों को मुफ्त किताब सहित कई कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही है ताकि स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिये जाने में कोई कसर न रहे. लेकिन, इन सब के बावजूद भी सैकड़ों बच्चे अब भी स्कूल जाने से वंचित हैं. स्कूल नहीं जानेवाले बच्चे सड़कों पर कूड़ा चुनने का काम कर रहे हैं. 1831 बच्चे अब भी स्कूल जाने से वंचितजिला सर्वशिक्षा विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-15 में स्कूल से बाहर रहनेवाले बच्चों की संख्या 2141 थी. वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में सिर्फ 310 बच्चों का नामांकन ही हो पाया. यानी 1831 बच्चे अब भी स्कूलों से बाहर हैं. शिक्षा विभाग के सर्वे के अनुसार, ये आंकड़े बनाये जा रहे हैं. अगर अन्य विभागों द्वारा भी सर्वे कराया जाये तो स्कूल से बाहर रहनेवाले बच्चों की संख्या और अधिक हो सकती है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा को बढ़ावा देने व स्कूलों में बच्चों के नामांकन प्रतिशत बढ़ाने के लिए चलायी जा रही सरकारी योजनाएं पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पा रही हैं. अभियान की निकली हवासरकार द्वारा हर वर्ष सरकारी विद्यालयों में अभियान चला कर स्कूल से बाहर रह रहे बच्चों या जिनकी पढ़ाई अधूरी छूट गयी है उनके लिए विशेष नामांकन अभियान चलाया जाता है. लेकिन, यह अभियान पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पा रहा है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाये तो इस वर्ष ही चलाये गये नामांकन अभियान में 1831 बच्चे स्कूल से बाहर हैं. अब इसे अभिभावकों की गलती कहे या अधिकारियों की उदासीनता बात जो भी हो मगर, इन सब के बीच शिक्षा विभाग का सब पढ़े सब बढ़े का दावा अपने वास्तविक रूप से बहुत दूर है. ………….फोटो…………. 9. शहर के मुख्य बाजार में कूड़ा चुनते बच्चे……………………………

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