किसानों को रास नही आ रहा चुनावी हलचल पानी के अभाव में सूखती फसल बनी चिंता का कारण प्रतिनिधि, पुसौली(कैमूर) विधानसभा चुनाव का मतदान 16 अक्तूबर को होगा. प्रत्याशी वोट के लिए क्षेत्र में घूम रहे हैं. लेकिन, पुसौली क्षेत्र के किसानों को यह चुनावी घमासान रास नहीं आ रहा है. रास भी आये तो कैसे? क्योंकि खेतों में पानी के अभाव में फटीं दरारों ने किसानों को चुनावी महौल से अलग होने पर मजबूर कर दिया है. किसान चुनावी रंग को देखे या अपने मेहनत की फसल को झुलसते हुए. पुसौली क्षेत्र के घटाव गांव के शहरी मौजा में 25 एकड़ धान की खड़ी फसल सूख रही है. दो वर्ष पूर्व सिंचाई के लिए ट्यूबेल तो लगाया गया, लेकिन बिजली व्यवस्था नहीं होने की वजह से किसान डीजल से पटवन कर रहे हैं. यही कारण है कि इस बार भी सूखा का संकट किसानों को सताने लगा है. क्या कहते हैं किसान किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. चुनाव आते ही सबको वोट के लिए किसान याद आते हैं. लेकिन चुनाव बीतते ही सब भुला देते हैं.भोला प्रजापति विभाग द्वारा ट्यूबेल तो लगा दिया गया, लेकिन बिजली नहीं पहुंचने से आज क्षेत्र के लगभग 25 एकड़ धान की फसल सूखने के कगार पर है. बलिराम कुम्हार ट्यूबेल लगे दो वर्ष हो गये, लेकिन बिजली नहीं मिली. ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा इस क्षेत्र के किसान भुगत रहे हैं. डीजल से पटवन के चार दिन बाद ही खेत का पानी सूख जा रहा है. सुनील पांडेय ट्यूबवेल लगाने के लिए नहीं है फंड नलकूप विभाग के एसडीओ उमाशंकर कुमार ने बताया कि इस नलकूप को चालू करने के लिए फंड ही नहीं प्राप्त है. फिर भी प्रयास है कि किसानों के लिएजल्द से जल्द ट्यूबेल चालू करा दिया जाय……………..फोटो……………………….14.बंद पड़ा ट्यूबेल 15.खेत में पड़ा दरार 16.भोला प्रजापति,बलिराम कोहार,सुनील पांडेय
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किसानों को रास नही आ रहा चुनावी हलचल
किसानों को रास नही आ रहा चुनावी हलचल पानी के अभाव में सूखती फसल बनी चिंता का कारण प्रतिनिधि, पुसौली(कैमूर) विधानसभा चुनाव का मतदान 16 अक्तूबर को होगा. प्रत्याशी वोट के लिए क्षेत्र में घूम रहे हैं. लेकिन, पुसौली क्षेत्र के किसानों को यह चुनावी घमासान रास नहीं आ रहा है. रास भी आये तो […]
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