मोहनिया(सदर) : प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों मलेरिया व टाइफाइड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने से लोग मलेरिया का शिकार हो रहे हैं. साथ ही पानी के अधिक दूषित होने से टाइफाइड भी तेजी से पैर पसार रहा है. सरकारी व निजी अस्पतालों में बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो रही है.
गंदे पानी व जल जमाव से मच्छरों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. मच्छर किसी भी संक्रमित मरीज को काटने के बाद किसी दूसरे कमजोर व्यक्ति को काटता है, तो वह भी मलेरिया की चपेट में आ जाता है. वहीं टाइफाइड मुंह के द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाता है. खास कर इस मौसम में पानी अधिक दूषित हो जाता है. इसके सेवन से टाइफाइड का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही खुले में खाना रखने व देर से रखे हुए कटे फलों को खाने से भी टाइफाइड होता है.
एक माह में मलेरिया व टायफाइड के मरीजों की संख्या : मोहनिया अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके दास ने बताया कि अब तक एक माह में (अगस्त व सितंबर) टाइफाइड के 300 व मलेरिया के 152 मरीजों का इलाज किया जा चुका है. प्रत्येक दिन करीब 10 से 12 मरीज टाइफाइड व चार से छह मरीज मलेरिया से पीड़ित अस्पताल आ रहे हैं. बुखार की शिकायत होने पर जांच के लिए लिखा जाता है. अधिकतर जांच रिपोर्ट में मलेरिया या टाइफाइड के लक्षण मिल रहे हैं.
क्या है मलेरिया
मलेरिया संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से प्लाजमोडियम गण के प्रोटोजोआ परजीवी के माध्यम से लोगों में मलेरिया बीमारी फैलती है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर इसका गंभीर असर होता है.
मलेरिया के लक्षण
कंपकंपी के साथ तेज बुखार, एक अंतराल के बाद बुखार आना, बुखार छूटने पर पसीना आना, जोड़ों में दर्द, खांसी-जुकाम, भूख न लगना, पेट में दर्द, उल्टियां आना, खून(हेमोग्लोबीन) की कमी, हाइपोथर्मिया व सांस तेज चलने की शिकायत.
क्या है बचाव
डॉ. ए.के दास बताते हैं कि मलेरिया से बचाव के लिए आसपास का परिवेश साफ-सुथरा रखें, जलजमाव नहीं होने दें, जलजमाव हो तो उसमें केरोसिन डालें, कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें, मच्छर से बचाव के लिए पूरे शरीर को कपड़े से ढक कर रखें, सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अवश्य करें, मलरिया का लक्षण दिखते ही नजदीकी अस्पताल में जाकर परामर्श लें.