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दुर्घटना ने खोली चैनपुर पीएचसी की पोल

हादसा. भभुआ-चैनपुर रोड पर श्रद्धालुओं से भरा ट्रैक्टर पलटने के बाद इलाज में घायलों की हुई फजीहत चैनपुर : ट्रैक्टर हादसे में गुरुवार को चैनपुर के पास चार लोग की मौत हो गयी. वहीं, 10 लोग घायल हो गये. घायलों को जब चैनपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया, तो स्वास्थ्य केंद्र की कु व्यवस्था […]

हादसा. भभुआ-चैनपुर रोड पर श्रद्धालुओं से भरा ट्रैक्टर पलटने के बाद इलाज में घायलों की हुई फजीहत
चैनपुर : ट्रैक्टर हादसे में गुरुवार को चैनपुर के पास चार लोग की मौत हो गयी. वहीं, 10 लोग घायल हो गये. घायलों को जब चैनपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया, तो स्वास्थ्य केंद्र की कु व्यवस्था सामने आ गयी. ज्यादातर घायलों को एक बेड तक नहीं मिल सका. कई घायलों का इलाज पीएचसी के बरामदे में जमीन पर लिटा कर हुआ.
घायलों की हल्की मरहम-पट्टी के बाद वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने उन्हें सदर अस्पताल रेफर करना ही मुनासिब समझा. शुरू में गंभीर रूप से चार घायलों को सदर अस्पताल के लिए रेफर करने के बाद एक-एक कर सभी 10 घायलों को चैनपुर से भभुआ रेफर कर दिया गया. घायलों के इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मात्र एक चिकित्सक, एक नर्स व एक ड्रेसर मौजूद थे.
अर्थमूवर मंगा घायलों को निकाला गया : इंजन के नीचे दबे तीन व्यक्तियों को निकालने के लिए बड्डी गांव में फोन कर अर्थमूवर (जेसीबी) मंगाया गया. इसके बाद इंजन के नीचे दबे तीन लोगों को निकाला जा सका परंतु, तब तक काफी देर हो चुका था दबे इन तीन व्यक्तियों में से दो दम तोड़ चुके थे.
घायलों ने कहा-बिहारी वैसे नहीं, जैसा हमने सोचा था : मदद में जुटे लोगों को देख घायल अरुण पांडेय ने कहा कि यूपी के लोगों में बिहार को लेकर जो छवि थी या उनके मन में बिहार के प्रति जो भी अवधारणा थी, वह बिल्कुल गलत साबित हुई.
यहां के लोग, स्थानीय पुलिस व सीमित संसाधनों के बीच डॉक्टरों के सहयोग की जितनी सराहना की जाये कम है, जबकि ऐसी घटना यूपी में होती, तो घायलों का भगवान ही मालिक होता.
पुल ले चुका है कई लोगों की जान: प्रखंड मुख्यालय से भभुआ की तरफ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह पुल कइयों लोगों की जान ले चुका है. दरअसल पुल की चौड़ाई काफी कम है. लेकिन, इस प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान नहीं है. यह पुल परैया के बाद सबसे बड़ा एक्सीडेंटल प्वाइंट है. सड़क का चौड़ीकरण करते समय यदि नये पुल का निर्माण किया गया होता, तो कई लोगों की जान बच सकता थी. इस पुल की ऊंचाई भी उतनी नहीं है. पुल के दोनों किनारों की रेलिंग की ऊंचाई तो कम हैं ही साथ ही काफी जजर्र भी है. बोलेरो को बचाने के क्रम में पुल की रेलिंग पर चढ़ते हीं जजर्र रेलिंग भरभरा कर गिर गयी. इससे ट्रैक्टर पुल के नीचे 10 फुट गहरे गड्ढे में पलट गया. इसमें चार लोगों ने अपनी जान गवायी. पहले प्रशासन ने इस पर ध्यान दिया होता, तो कई लोगों की जान बचायी जा सकती थी. अब देखना यह है कि अब भी इस पुल पर आलाधिकारियों की नजर पड़ती है या पुल लोगों की बली लेता रहेगा.

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