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हर महीने मेंटेनेंस खर्च के लिए आता है 50 हजार, पर नहीं बनी चहारदीवारी

भभुआ शहर : शहर के बिजली विभाग के पावर सब स्टेशन यार्ड में अधिकारियों व पशुपालकों के लापरवाही से पशुओं की जान जा सकती है. इसके अलावा पशुपालक सहित आमलोग भी इसके चपेट में आ सकते हैं. क्योंकि, यार्ड की चहारदीवारी नहीं होने से आसानी से पशु यार्ड में घुस कर घास चरते नजर आते […]

भभुआ शहर : शहर के बिजली विभाग के पावर सब स्टेशन यार्ड में अधिकारियों व पशुपालकों के लापरवाही से पशुओं की जान जा सकती है. इसके अलावा पशुपालक सहित आमलोग भी इसके चपेट में आ सकते हैं. क्योंकि, यार्ड की चहारदीवारी नहीं होने से आसानी से पशु यार्ड में घुस कर घास चरते नजर आते हैं.

इसके अलावा पशुपालक भी अपने पशुओं को यार्ड में चराने से बाज नहीं आते हैं और पशुओं के पास बैठक में पशुओं को चराते हैं. इस वजह अभी तक चहारदीवारी नहीं होने से पशुओं के लिए पीएसएस यार्ड चरागाहा बन गया है. गौरतलब है कि, भभुआ पावर सब स्टेशन से कई गांवों में बिजली पहुंचायी जाती है. लेकिन, अभी तक इस पावर सब स्टेशन की चहारदीवारी का निर्माण नहीं कराया गया है. इस कारण खुले में पाकर आसानी से पशुपालक अपने पशुओं लेकर यार्ड में घुस जाते हैं और पशुओं को घास चराते नजर आने लगे हैं.
इस दौरान पशुपालकों को थोड़ा भी यह भय नहीं है कि कहीं बिजली का फॉल्ट हुआ, तो उनकी जान आसानी से जा सकती है. इसके अलावा अधिकारी भी इन पर नकेल कसने के लिए कोई जहमत नहीं उठाते हैं. कभी बिजली का तार मौत बन कर पशुओं व पशुपालकों पर गिर सकतग्है यह कहा नहीं जा सकता है. हालांकि, जो भी लेकिन, यह भी बात उतना ही सत्य है कि इस पावर सब स्टेशन की मरम्मत के लिए हर माह 50 हजार रुपये आता है. ताकि, यार्ड में कमी व जरूरत चीजों को इस राशि से पूरा किया जा सके.
लेकिन, सबसे ज्यादा चहारदीवारी का घेराव नहीं होने से आये दिन एक-दो नहीं, दर्जन की संख्या में पशु पावर सब स्टेशन में चरते हैं. इधर, नाम नहीं छापने की शर्त पर बिजली के कर्मियों का कहना है कि न इस यार्ड की कभी सफाई की जाती है और न इस यार्ड को किसी प्रकार से घेराव किया जाता है, जिससे इसमें किसी तरह के जानवर और अन्य जीवों को आने से रोका जा सके. इसमें घेराव न होने की वजह से आसपास के पशु और पशुपालक पीएसएस के यार्ड में अंदर चले आते हैं. जबकि, यार्ड में हाइ एक्सटेंशन तार और ट्रांसफॉर्मर का जाल बिछा हुआ है और उसी के नीचे पशु और पशुपालक निडर होकर घूमते नजर आते हैं.
इससे कभी भी एक बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है. कर्मियों का कहना है कि हर महीने 50 हजार की राशि कंपनी द्वारा मेंटेनेंस के लिए दी जाती है, जिससे यार्ड की सफाई और मेंटेनेंस किया जा सके. लेकिन, इतनी राशि आने के बावजूद पीएसएस का यार्ड जंगल की तरह दिखता है.
जबकि इसमें 13 हाइलोजन लाइट भी लगायी गयी है, जिसमें मात्र तीन हाइलोजन लाइट कार्य करती है. बाकी 10 हाइलोजन लाइट बंद पड़ी है. इस कारण बिजली विभाग के कर्मियों को जान-जोखिम में डाल कर रात के अंधेरे में टॉर्च से कार्य करना पड़ता है. इस संबंध में बिजली विभाग के शहरी क्षेत्र के एसडीओ रंजन कुमार के मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क किया गया. लेकिन, रिंग के बावजूद उन्होंने फोन रिसिव करना मुनासिब नहीं समझा.

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