भभुआ कार्यालय : 2008 से 2011 के बीच स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम के तहत चलनेवाली जननी बाल सुरक्षा व बंध्याकरण योजना में किये गये सवा छह करोड़ रुपये के घोटाले का अनुसंधान अब आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) करेगी. 2011 में तत्कालीन सिविल सर्जन रासबिहारी सिंह द्वारा उक्त घोटाले को लेकर भभुआ थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी 533/11 का अनुसंधान अब आर्थिक अपराध इकाई द्वारा किये जाने का आदेश गृह विभाग ने जारी किया है.
इस पर इओयू के एसपी ने इंस्पेक्टर जाकिर हुसैन को केस का प्रभार लेने का आदेश जारी किया है. बुधवार को भभुआ पहुंचे इओयू के इंस्पेक्टर जाकिर हुसैन ने केस के अनुसंधानकर्ता एसडीपीओ अजय प्रसाद से केस का प्रभार ले लिया. अब इस केस का अनुसंधान इओयू के पुलिस पदाधिकारी करेंगे.
गौरतलब है कि 2011 में तत्कालीन सिविल सर्जन रासबिहारी सिंह ने स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम के तहत चलनेवाली योजना जननी बाल सुरक्षा एवं बंध्याकरण में पांच करोड़ से ज्यादा घोटाले की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें तीन लोग तत्कालीन सिविल सर्जन उचित लाल मंडल, डीपीएम शाहिद
अब इओयू करेगी…
कमाल, लेखा प्रबंधक कमलेश वर्मा के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. लेकिन, खास बात यह कि उक्त मामले में अनुसंधान के दौरान अब तक 60 लोगों के नाम सामने आ चुके हैं. इनमें डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, एनजीओ चलानेवाले सहित कई महत्वपूर्ण लोगों के नाम शामिल हैं. अब तक के अनुसंधान में 23 लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा चार्जशीट भी दाखिल कर दी गयी है.
अनुसंधान में कई बड़े लोगों के नाम सामने आने व घोटालेबाजों की लिस्ट लंबी होती देख मामले की निष्पक्ष व गहराई तक जांच के लिए तत्काल कैमूर एसपी हरप्रीत कौर ने उक्त केस का अनुसंधान निगरानी या इओयू से कराने के लिए पुलिस विभाग के वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा था. इसके बाद गृह विभाग ने उक्त कांड का अनुसंधान आर्थिक अपराध इकाई से कराने का आदेश जारी किया है.
बुधवार को इओयू के इंस्पेक्टर ने भभुआ पहुंच कर केस का लिया प्रभार
गृह विभाग के आदेश पर आर्थिक अपराध इकाई को केस किया गया ट्रांसफर
अब तक की जांच में कई चर्चित लोगों के नाम केस में हो चुके हैं शामिल