वन विभाग के पास चेक डैमों को भरने के लिए नहीं है पर्याप्त साधन
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वन जीवों को पीने के लिए चेक डैमों से नहीं मिल रहा पर्याप्त पानी
वन विभाग के पास चेक डैमों को भरने के लिए नहीं है पर्याप्त साधन विभाग ने वन प्रक्षेत्र में बनाये हैं डेढ़ दर्जन चेक डैम भभुआ : कैमूर में वन विभाग द्वारा बनाये गये चेक डैमों से जंगली जीवों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. वन विभाग के पास चेक डैमों में पानी भरने […]
विभाग ने वन प्रक्षेत्र में बनाये हैं डेढ़ दर्जन चेक डैम
भभुआ : कैमूर में वन विभाग द्वारा बनाये गये चेक डैमों से जंगली जीवों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. वन विभाग के पास चेक डैमों में पानी भरने के लिए पर्याप्त साधन भी नहीं है. वन प्रक्षेत्र में विभाग द्वारा लगभग डेढ़ दर्जन चेक डैम बनाये गये हैं. गौरतलब है कि पहाड़ी शृंखलाओं से घिरे कैमूर जिला का एक बड़ा भू-वन प्रक्षेत्र में आता है. इसे सरकार द्वारा सेंचुरी क्षेत्र भी घोषित किया जा चुका है. लेकिन, जैसे ही गर्मी शुरू होती है. जिले में आदमी से लेकर पशु-पक्षियों तक के लिए पानी का संकट खड़ा हो जाता है. प्रचंड धूप से दहकते पहाड़ी चट्टानों के बीच वन जीव पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगते हैं.
हालांकि, वन जीवों को पानी उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग द्वारा वन प्रक्षेत्र के अधौरा, चैनपुर और भभुआ रेंज में पर्वतपुर, चीतलबांध, जमुनीनार, सारोदाग, करर सहित कई वन स्थलों पर लगभग डेढ़ दर्जन चेक डैम बनाये गये हैं. इसे वन क्षेत्र का बड़ा भू-भाग देखते हुए कम ही कहा जा सकता है. उल्लेखनीय है कि इन चेक डैमों में गर्मी के दिनों में विभाग द्वारा टैंकर से पानी भरा जाता है. एक चेक डैम की क्षमता लगभग दो हजार लीटर बतायी जाती है. ऐसे में गर्मी में मात्र दो या तीन दिन से अधिक एक चेक डैम का पानी नहीं चल पाता है. नतीजा होता है कि वन विभाग द्वारा जब तक दो चेक डैम भरे जाते हैं, तब तक चार डैम सूख चुके होते हैं.
पानी के अभाव में पशुओं को मैदानी क्षेत्र में लाने लगे पशुपालक : भभुआ. जिले के पहाड़ी प्रखंडों में पेयजल संकट अब गहराने लगा है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है. वैसे- वैसे समस्या भी विकराल होने लगी है. नतीजा है जिले के अधौरा, चैनपुर, रामपुर सहित कई प्रखंडों के पहाड़ी क्षेत्र से पशुपालक अपने पशुओं को लेकर मैदानी क्षेत्र में उतरने लगे हैं. अधौरा के झब्बु यादव, दिघार के अभिमन्यु यादव सहित कई लोगों ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र की नदियां सूख चुकी है. जलस्तर भागने से कुआं और चुआं भी जवाब दे चुके हैं. पशुओं के लिए पानी का घोर संकट खड़ा हो चुका है. इसे देखते हुए अब पशुओं को मैदानी भाग में ले जाया जा रहा है. लगभग चार माह ये पशु मैदानी भाग में रहेंगे.
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