इस साल अब तक 914 मरीज मिले
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मरीज बरत रहे लापरवाही, बीच में दवा छोड़ देना बन रहा घातक
इस साल अब तक 914 मरीज मिले भभुआ सदर : भभुआ प्रखंड के नंदू राम की खांसी ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी. वह अभी खांसी के ठीक होने का इंतजार ही कर रहे थे कि खांसी के साथ आये बलगम में खून आ गया. इससे वह चकित हो उठे और इसका इलाज […]
भभुआ सदर : भभुआ प्रखंड के नंदू राम की खांसी ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी. वह अभी खांसी के ठीक होने का इंतजार ही कर रहे थे कि खांसी के साथ आये बलगम में खून आ गया. इससे वह चकित हो उठे और इसका इलाज कराने के लिए निजी चिकित्सालय में पहुंचे. वहां उनका टीबी का इलाज शुरू हुआ. लेकिन, कुछ ही दिनों बाद उन्होंने दवा खाना बंद कर दिया. नतीजा यह हुआ कि टीबी ने उन्हें पूरी तरह जकड़ लिया और कुछ दिनों के बाद उनकी इहलीला समाप्त हो गयी. जिले में ऐसे मरीजों का आकंड़ा चौंकानेवाला है. सबसे बड़ी बात कि दवा की पूरी डोज नहीं लेना रोगियों के घातक सिद्ध हो रहा है.
जिले में इस साल अब तक 914 मरीजों का मिलना स्पष्ट प्रमाण है कि यहां टीबी के मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है. गौर करने लायक बात यह है कि यहां इस साल अब तक मिले एमडीआर मरीजों की संख्या भी 60 है. ये सभी कैट-4 के मरीज हैं. वहीं, कैट-5 के भी पांच मरीज सामने आये हैं. चिकित्सक कहते हैं कि जागरूकता के अभाव में लोग दवा की पूरी डोज नहीं ले रहे हैं. इससे एमडीआर मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जाहिर सी बात है कभी भयावह बीमारी के रूप में जानी जानेवाली बीमारी टीबी भले ही अब लाइलाज नहीं रही. लेकिन, इसके प्रति लोगों का भय अब भी बना हुआ है. अब इसे जागरूकता का ही अभाव ही कहा जायेगा कि लोग इसका समुचित इलाज कराने की बजाय इसे छुपाने में या गुपचुप तरीके से इलाज कराने में ज्यादा विश्वास करते हैं. नतीजा यह हो रहा है कि उनकी बीमारी ठीक होने के बजाय और बढ़ जा रही है.
जिले में इलाज की क्या है व्यवस्था
जिले के हर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टीबी की जांच और उसकी दवा मरीजों को मुफ्त में मिलती है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि यहां हर प्रखंड में यह व्यवस्था मौजूद है. वहां जांच से लेकर इलाज तक की व्यवस्था मौजूद है. बावजूद कई बार टीबी के मरीज जागरूकता के अभाव में निजी चिकित्सक के पास या गांव में पास के चिकित्सक से अपना इलाज कराने लगते हैं और ठीक होने के बजाय उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है.
आनुवंशिक नहीं, संक्रामक बीमारी है टीबी टीबी आनुवंशिक बीमारी नहीं है. यह देवी-देवताओं के प्रभाव या अंधविश्वास की वजह से होनेवाली बीमारी भी नहीं है. बल्कि कीटाणुओं से फैलनेवाला एक रोग है. एक संक्रामक बीमारी है. इसमें बस मरीज को इतना ख्याल रखना चाहिए कि वह मुंह व नाक पर रूमाल रख कर छींके या खांसे. क्योंकि, टीबी के मरीज की छींक पर दो फुट के दायरे तक में रहनेवालों को यह बीमारी प्रभावित कर सकती है. चिकित्सक कहते हैं कि अगर लगातार दो सप्ताह तक किसी को खांसी है तो उसे टीबी की जांच करा लेनी चाहिए.
डायबिटीज के मरीजों को रहता है ज्यादा खतरा कुपोषण के शिकार व डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति तथा एचआइवी पॉजिटिव व एड्स के मरीज को टीबी होने का सबसे अधिक खतरा रहता है. इन परिस्थितियों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और टीबी के कीटाणु शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. सबसे बड़ी बात कि टीबी केवल फेफड़े में ही नहीं होती है. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है. इसमें मुंह से खून आना, शाम हो हल्का बुखार, दिमाग की टीबी में सिर में दर्द होता है.
दो प्रकार की होती है टीबी की बीमारी
चिकित्सकीय भाषा में टीबी दो प्रकार की होती है, ड्रग सेंसटिव व ड्रग रेजिस्टेंस. इसमें एमडीआर टीबी भी एक प्रकार है. जब टीबी की आम दवाएं काम करना बंद कर देती हैं, तो उसे ड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहते हैं. एमडीआर टीबी उसी का प्रकार है. इसमें लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में दवा लेनी पड़ती है. डॉक्टर कहते हैं ड्रग सेंसटिव टीबी का इलाज ठीक से किया जाये, तो ड्रग रेजिस्टेंस टीबी को रोका जा सकता है. यहां गौर करने लायक यह है कि जिले में ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं.
यक्ष्मा विभाग में स्वीकृत और कार्यरत बल
पद स्वीकृत बल कार्यरत बल
एसटीएस 07 02
एसटीएलएस 03 02
एलटी 09 05
टीबी/एचआईवी सुप. 01 01
पीपीएम को-ऑर्डिनेटर 01 01
डीईओ 01 01
एमओ डीटीसी 01 01
सीडीओ 01 01
बीच में दवा नहीं छोड़ना चाहिए
जिले में टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ने के सवाल पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जिले में कुछ केस यक्ष्मा के बढ़े हैं. खास कर रेजिस्टेंस केस बढ़ रहे हैं. ये वे केस होते हैं, जिनमें रोगी टीबी की दवा बीच में ही छोड़ देता है. यह मरीज के लिए घातक होता है. इसलिए टीबी रोगियों को बीच में कभी भी दवा नहीं छोड़नी चाहिए.
किस प्रखंड में कितने रोगी मिले
प्रखंड रोगी
भभुआ 168
मोहनिया 156
रामगढ़ 33
कुदरा 49
दुर्गावती 75
भगवानपुर 55
चैनपुर 105
चांद 56
अधौरा 107
नुआंव 56
रामपुर 54
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