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सदर अस्पताल में आग लगी, तो हो सकता है जान-माल का नुकसान

2015 में खत्म हो चुकी है सदर अस्पताल में लगाये गये फायर एक्सटिंगविशर की मियाद भभुआ सदर : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में वरीय अधिकारियों के आदेश भी नीचे के अधिकारी व कर्मचारी उसे हवा में उड़ाने से बाज नहीं आ रहे है. कुछ दिन पहले सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सीएस डॉ […]

2015 में खत्म हो चुकी है सदर अस्पताल में लगाये गये फायर एक्सटिंगविशर की मियाद

भभुआ सदर : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में वरीय अधिकारियों के आदेश भी नीचे के अधिकारी व कर्मचारी उसे हवा में उड़ाने से बाज नहीं आ रहे है. कुछ दिन पहले सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सीएस डॉ नंदेश्वर प्रसाद ने अस्पताल में लगे और 2015 में ही एक्सपायर्ड हो चुके फायर एक्सटिंगविशर (अग्निशमन सिलिंडर) को देख अस्पताल प्रबंधक को आड़े हाथों लेते हुए तत्काल अस्पताल के विभिन्न जगहों पर लगे सभी फायर एक्सटिंगविशर का नवीनीकरण करवाने का आदेश दिया था.
लेकिन, क्या मजाल की सीएस के आदेश पर कोई कार्रवाई होती, उन्हें तो अगर अस्पताल में आग लग जाये और इससे होनेवाले जानमाल के नुकसान की भी चिंता नहीं है. एक महीने बाद भी अस्पताल में लगे फायर एक्सटिंगविशर का नवीनीकरण नहीं किया जा सका और अब भी सदर अस्पताल के सभी फायर
एक्सटिंगविशर सिर्फ शो पीस बन कर रह गये हैं. अगर सदर अस्पताल में आग लगी, तो जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता है. क्योंकि, देश के अन्य प्रदेशों के अस्पतालों में लगी आग और उससे हुए मौतों के कारणों में भी अस्पताल में आग से बचाव के खराब प्रबंधन को माना गया. खास बात है कि सदर अस्पताल के अधिकारी भी इस बात से वाकिफ हैं कि यहां के फायर एक्सटिंगविशर जवाब दे चुके हैं. लेकिन, इसे बदलने की कवायद नहीं की जा रही है.
जान-माल की नहीं है किसी को फिक्र जिले के सदर अस्पताल सहित प्रमुख अस्पतालों में मरीजों के लिए व्यवस्था पुख्ता करने पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. इसमें आग से निबटने के लिए की जानेवाली व्यवस्था भी शामिल है. इसके तहत अस्पताल बिल्डिंग के ओपीडी, इमरजेंसी, लेबर वार्ड, भर्ती वार्ड के गलियारे में कई फायर एक्सटिंगविशर लगाये गये हैं. लेकिन, अगर आग लगी तो ये किसी काम के साबित नहीं होंगे. क्योंकि, सभी के सभी फायर एक्सटिंगविशर एक्सपायर्ड हैं. लेकिन, इसे बदलना तो दूर अधिकारी इनकी मियाद तक देखने की जहमत नहीं उठाते. ऐसे में आ रहे गर्मी के सीजन में अगर किन्ही वजहों से इन अस्पतालों में आग लगी, तो दर्जनों मरीजों की जान को खतरा हो सकता है.
फोन उठाने की भी जहमत नहीं उठायी सदर अस्पताल में एक्सपायर्ड फायर एक्सटिंगविशर को रिफ्रेश किये जाने के आदेश की अवहेलना और एक माह बाद भी नवीनीकरण नहीं किये जाने के संबंध में जानकारी लेने के लिए जब सदर अस्पताल के प्रबंधक मनीष चंद्र श्रीवास्तव के सरकारी नंबर पर फोन किया गया, तो उन्होंने फोन उठाने की भी जहमत नहीं उठायी और तो और उन्होंने भेजे गये मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया.
12 मरीज पर एक सिलिंडर वह भी फेल
सदर अस्पताल के ओपीडी व इमरजेंसी बिल्डिंग में हर दिन इलाज के लिए मरीजों की भीड़ लगी रहती है. इनमें अधिकतर महिलाएं व बच्चे होते हैं. इमरजेंसी के ऊपर जनरल वार्ड होने की वजह से यहां सभी तरह के मरीजों का इलाज किया जाता है. लेकिन, यहां 12 मरीजों पर मौजूद एक सिलिंडर भी किसी काम का नहीं है. इतना ही नहीं, इमरजेंसी और डॉक्टर्स के ओपीडी वार्ड में भी अब तक आग से बचाव को लेकर किसी तरह का कोई इंतजाम नहीं है. तब भी, जबकि ओपीडी के डॉक्टर कक्ष में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों की भीड़ रहती है.
आदेश की अवहेलना पर होगी कार्रवाई
इस बारे में सीएस डॉ नंदेश्वर प्रसाद ने कहा कि मरीजों के जान-माल की सुरक्षा के लिए सदर अस्पताल में लगे फायर एक्सटिंगविशर को आदेश के बावजूद नवीनीकरण नहीं किया जाना, उनके आदेश का घोर उल्लंघन हैं. इस मामले में अस्पताल मैनेजर से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उचित व कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

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