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पशुओं को ताजा व स्वच्छ पानी पिलाएं
भभुआ शहर : ठंड में पशुपालकों को अपने पशुओं को सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है. तापमान में गिरावट होने पर पशुओं के बीमार होने की संभावना बनी रहती है. इससे पशु कम चारा खाना शुरू कर देता है. उपचार कराने में पशुपालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. […]
भभुआ शहर : ठंड में पशुपालकों को अपने पशुओं को सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है. तापमान में गिरावट होने पर पशुओं के बीमार होने की संभावना बनी रहती है. इससे पशु कम चारा खाना शुरू कर देता है. उपचार कराने में पशुपालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इससे पशु कमजोर हो जाता है और पशु दूध देना भी बंद कर देता है.
कई बार बीमारी बढ़ने पर पशु की मौत भी हो जाती है.
इस संबंध में अनुमंडलीय पशु अस्पताल के डॉ मनोज कुमार ने बताया कि ठंड में पशुधन की उचित देखरेख करनी चाहिए. सर्दियों के मौसम में पशु सुस्त व थकान सी महसूस करता है. सामान्य से नीचे तापमान जाने पर पशुपालकों को उनके खान-पान व रखरखाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. इससे पशु के बीमार होने की संभावना कम हो जाती है.
उन्होंने बताया कि सर्दी में पशुओं के नीचे सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. ज्यादा देर तक उन्हें गीले में न बैठने दें. धूप निकलने पर घर के अंदर से बाहर निकाल दें. रात में ठंडा पानी नहीं पिलाएं. दोपहर से पहले ताजे पानी में पशुओं को धो सकते हैं. कमजोर पशुओं को धोने के बजाय सूखे कपड़े व पुआल से रगड़ कर उसके शरीर की सफाई करें.
25 प्रतिशत हरा व 75 प्रतिशत सूखा चारा खिलाएं
पशु चिकित्सक ने बताया कि सफाई व सही खुराक नहीं मिलने के कारण उनमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. इससे पशु जल्दी व बार-बार बीमार होते हैं. कई बार सर्दी में पशुओं को निमोनिया, इन्फलोंजा (नजला), निमोनाइटिस (फेफड़ों का संक्रमण) आदि हो जाता है. इसका समय से बचाव व उपचार नहीं होने पर पशु की मृत्यु हो जाती है.
सर्दी में पशुओं के बच्चों का भी ध्यान रखना चाहिए. उन्हें अधिक दूध पिलाने के साथ-साथ कृमिनाशक दवा पिलानी चाहिए. दुधारू पशुओं को दूध च्वर बीमारी से बचाने के लिए उसके स्तनों से सारा दूध नहीं निकालना चाहिए. पशुओं की अच्छी सेहत व दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालकों को छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि सर्दियों में पशु को बीमारियों से बचाने के लिए पशुओं को कम से कम 25 प्रतिशत हरा चारा व 75 प्रतिशत सूखा चारा खिलाना चाहिए.
घर में अलाव जला कर करें धुआं
पशु चिकित्सक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि पशुओं को ताजा व स्वच्छ पानी पिलाएं. पशु को सप्ताह में दो बार गुड़ जरूर खिलाएं. बिनौला, खल व खनिज मिश्रण दें. सेंधा नमक खिलाएं, ताकि पशु की पाचन शक्ति बनी रही. पशुओं को सुबह में चारा नहीं खाने पर दोपहर या शाम को बदल देना चाहिए.
पशु के नीचे साफ-सफाई व सूखा बरकरार रखें. पशुओं को ठंडा से बचाव के लिए घर में अलाव जला कर धुआं करें. इसके साथ ही पशुओं के शरीर पर जुट का बोरा या अन्य सामान रख दें. जाड़े में पशुओं को किलनी लगता है. इसके लिए क्यूटिरोज नामक दवा को एक लीटर पानी में पांच एमएल दवा घोल कर पशु के शरीर पर लेप लगा दें.
आधा घंटे बाद साफ पानी से पशु को धो दें. जाड़े में अस्पताल से पशुओं के लिए दी जाने वाली मिनरल मिक्चर दिया जाता है. इसे एक पशु के चारे के साथ आटा में मिला कर या पानी में घोल कर 25 ग्राम प्रतिदिन देना है. ये मिनरल मिक्चर 100 ग्राम का होता है. यह पशुओं को काफी लाभ पहुंचाता है.
26 प्रकार की दवाएं उपलब्ध
जानकारी के अनुसार अनुमंडलीय पशु अस्पताल में 26 प्रकार की दवाएं उपलब्ध है, जिसे पशुओं को इलाज के क्रम में एक रुपये की पर्ची कटवाने पर दी जाती है. ऐसे विभाग में 42 प्रकार की दवा रहनी चाहिए.
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