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शिक्षकों व बच्चों को पीने का पानी भी नहीं हो रहा नसीब

अनदेखी. रामगढ़ हाइस्कूल में लगे पांच चापाकल नकारा साबित पानी के लिए कभी मंदिर, तो कभी सड़क किनारे लगे नलों का ले रहे सहारा रामगढ़ : एक तरफ सरकार विद्यालयों की शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए बायोमीटरिक, ड्रेस कोड, छात्रवृत्ति,सौ फीसदी नामांकन का लक्ष्य जैसी योजना निर्धारित करने में लगी है. दूसरी तरफ रामगढ़ […]

अनदेखी. रामगढ़ हाइस्कूल में लगे पांच चापाकल नकारा साबित

पानी के लिए कभी मंदिर, तो कभी सड़क किनारे लगे नलों का ले रहे सहारा
रामगढ़ : एक तरफ सरकार विद्यालयों की शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए बायोमीटरिक, ड्रेस कोड, छात्रवृत्ति,सौ फीसदी नामांकन का लक्ष्य जैसी योजना निर्धारित करने में लगी है. दूसरी तरफ रामगढ़ हाइस्कूल के शिक्षकों व बच्चों को पीने के लिए पानी भी नहीं नसीब हो पा रहा है. सुबह- सुबह स्कूल परिसर में मॉर्निंग वॉक कर रहे लोग, मैदान में खेल, कसरत कर रहे बच्चे भी पेयजल की समस्या से परेशान हैं. गरमी व शुष्क हवाएं लोगों की हलक सूखा रही हैं. लेकिन,
प्यास बुझाने के लिए लगे हैंडपंप प्यास बुझाने के बजाय हाफ रहे हैं. ऐसे में छात्र-छात्रा सहित मैदान में खेल रहे बच्चे आदि सभी पानी के लिए कभी मंदिरों में तो कभी सड़क किनारे लगे नलों का सहारा ले रहे हैं. क्योंकि, स्कूल में लगे चापाकल नकारा साबित हो रहे हैं.
गौरतलब है कि विद्यालय में करीब छह चापाकल हैं. लेकिन, एक हैंडपंप को छोड़ सबने दम तोड़ दिया है. विद्यालय में मॉर्निंग वॉक कर रहे लोगों ने विद्यालय में पौधारोपण भी किया है. मगर, जब पेड़-पौधे में जल देने की बारी आती है, तो लोग जल की उत्पन्न हुई समस्या को लेकर विद्यालय के प्रबंधक को जिम्मेदार ठहराते हैं. विभाग की उदासीनता कहिए या स्कूल प्रशासन की अनदेखी, जिससे स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई महीनों से खराब पड़े चापाकल को ठीक कराने की दिशा में विभागीय स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया जा सका है. स्कूल में बच्चों को पीने के पानी के लिए खुद मशक्कत करनी पड़ रही है. हाल यह है कि पानी के लिए छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को इधर-उधर भटकना पड़ता है. वैसे तो बच्चे बोतलों में पानी लेकर स्कूल पहुंचते हैं. लेकिन, जो बच्चे बोतल से पानी नहीं ले जाते, वह इधर-उधर घरों, रोड, मंदिरों में जाकर पानी पीते हैं. बताया जाता है कि कई बार विद्यालय में विभागीय कार्य को लेकर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का विद्यालय में आना-जाना होता है. लेकिन, उनकी नजर इस विद्यालय में महीनों से खराब पड़े चापाकल पर नहीं पड़ती. अगर, जल्द से जल्द विद्यालय में पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त नहीं करवाया गया, तो विद्यालय के व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लग सकता है.
बच्चे हो सकते हैं बीमार
पंकज सिंह का कहना है कि प्रशासन का रवैया बेहद खेद जनक है. विद्यालय में पेयजल की समस्या के कारण बच्चे अन्य जगहों जाकर फ्लोराइड व आर्सेनिक युक्त दूषित जल पीने को मजबूर हैं. रूपेश चौधरी का कहना है कि दूषित पानी पीने से बच्चे बीमार हो सकते हैं. सुबह मॉर्निंग वॉक करने के दौरान विद्यालय की व्यवस्था की पोल खुल गयी है. हमलोग कई पौधे लगाये हैं. ताकि, विद्यालय में हरियाली रहे. पौधों में पानी डालने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
बोले प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक वीरेंद्र सिंह का कहना है कि विद्यालय में कुछ हैंडपंप खराब है. एक हैंडपंप सरकारी तौर पर लगाया गया है, जो लगने के दिन से खराब ही है. बन जाता तो कुछ हद तक पेयजल की समस्या दूर हो सकती है. शेष खराब हैंडपंप को दुरुस्त कराने हेतु प्रबंध समिति की आयोजित बैठक में बात रखी जायेगी.

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