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26 साल से कर्मचारी लगा रहे रोहतास मुख्यालय का चक्कर
भभुआ नगर : रोहतास जिले से अलग हुए कैमूर जिले को 26 साल का समय गुजर गया. लेकिन, यहां समाहरणालय सहित विभिन्न कार्यालयों में अपनी ड्यूटी बजा रहे कर्मचारियों को अब भी भविष्य निधि, लेखा व बैंक से जुड़े मामलों के निबटारे के लिए रोहतास मुख्यालय (सासाराम) की दौड़ लगानी पड़ती है. कैमूर जिले के […]
भभुआ नगर : रोहतास जिले से अलग हुए कैमूर जिले को 26 साल का समय गुजर गया. लेकिन, यहां समाहरणालय सहित विभिन्न कार्यालयों में अपनी ड्यूटी बजा रहे कर्मचारियों को अब भी भविष्य निधि, लेखा व बैंक से जुड़े मामलों के निबटारे के लिए रोहतास मुख्यालय (सासाराम) की दौड़ लगानी पड़ती है.
कैमूर जिले के गठन के इतने वर्षों बाद भी सामान्य भविष्य निधि व लेखा कार्यालय की स्थापना नहीं होने से कर्मचारियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसकी वजह से कर्मचारियों को समय और आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है. इस समस्या को लेकर सभीविभाग के कर्मचारी परेशान हैं और जिले में ही भविष्य निधि व लेखा कार्यालय की शाखा स्थापित करने की मांग जिलाधिकारी से की है.
इस समस्या की ओर डीएम का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए सभी कर्मचारियों ने सामूहिक हस्ताक्षर कर डीएम को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है. कर्मचारी राजेंद्र सिंह, पंचरत्न कुमार, राजू कुमार सिंह, विनय शंकर शर्मा, वीरेंद्र कुमार सहित लगभग 50 कर्मचारियों ने इसे लेकर मांगपत्र में अपना सिग्नेचर कर इसका समर्थन भी किया है.
लिपिक से लेकर अमीन तक की कमी: सरकारी कामकाज के निबटारे में लिपिकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. लेकिन, रोहतास जिले से अलग होने के बाद 1991 में जब कैमूर जिला बना, उसके बाद से ही सरकारी कर्मचारियों की कमी से जिला बेहाल है.
सरकार के पास 49 लिपिकों का प्रस्ताव भेजने के बावजूद अब तक यहां लिपिकों की नियुक्ति नहीं हो पायी है. लिपिक से लेकर राजस्व कर्मचारी, पंचायत सचिव, अमीन व कार्यालय परिचारी के स्वीकृत बलों की अपेक्षा काफी कम कर्मचारियों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है.
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