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गरीबों को शाम ढलने पर ही मिलती है शौच से मुक्ति
शहर के कई मुहल्लों की महिलाओं व युवतियों को शौच के लिए अंधेरा होने ढलने का रहता है इंतजार भभुआ सदर : एक तरफ जहां प्रशासन द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत कैमूर जिले को खुले में शौच से मुक्त के लिए अभियान चलाया जा रहा है और कई गांवों को शौचमुक्त भी घोषित किया जा […]
शहर के कई मुहल्लों की महिलाओं व युवतियों को शौच के लिए अंधेरा होने ढलने का रहता है इंतजार
भभुआ सदर : एक तरफ जहां प्रशासन द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत कैमूर जिले को खुले में शौच से मुक्त के लिए अभियान चलाया जा रहा है और कई गांवों को शौचमुक्त भी घोषित किया जा चुका है. लेकिन, नगर पर्षद की सुस्ती या फिर प्रशासन की अनदेखी के चलते जिला मुख्यालय ही शौचमुक्त नहीं हो पाया है.
यह घोर विडंबना है कि आज भी शहर के बीच स्थित गवई मुहल्ला, आंबेडकर नगर, चकबंदी रोड, छावनी मुहल्ला, पुराना चौक आदि मुहल्लों के गरीब घरों की महिलाओं व लड़कियों को शौच से मुक्ति के लिए शाम ढलने का इंतजार करना पड़ता है. तब जाकर समाज व व्यवस्था की दुर्दशा बतानेवाली कहानी से उन्हें मुक्ति मिलती है. वैसे तो नगर पर्षद के सर्वेक्षण में शहर के 1500 घरों में शौचालय नहीं होने की बात पता चली थी. इस आधार पर नप ने पिछले दो सालों में मात्र 900 के करीब ही शौचालय बनवाये.
नप कार्यालय में दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो सर्वेक्षण के अनुसार, 539 शहरी गरीबों को उनके घर में शौचालय बनाने के लिए प्रथम किश्त की राशि दी जा चुकी है. जबकि, 368 शहरी लाभार्थी दूसरी किश्त का भी लाभ पा चुके हैं. लेकिन, हकीकत इससे काफी अलग है. वार्ड 14 आंबेडकर नगर के रहनेवाले मोती राम का कहना था कि उनके घर में गड्ढा बना कर शौचालय का रूप देने पर प्रथम किश्त तो जैसे-तैसे मिल गयी. लेकिन, दूसरे किश्त का अब भी इंतजार है. इस वजह से काम अधूरा पड़ा है और भी कई ऐसे लोग हैं, जिनका नाम तो शौचालय बनवाने की सूची में शामिल हैं. लेकिन, अब तक उन्हें सरकार से दी जानेवाली राशि का इंतजार है.
नगर पर्षद ने दो साल में मात्र 900 शौचालय बनवाये पैसे नहीं मिलने से कई अधूरे
धरातल पर उतरने के इंतजार में सात निश्चय योजना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पूरे बिहार में नाली, गली व पेयजल को लेकर 20 माह पहले मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना चलाया गया. भभुआ शहर में भी मुख्यमंत्री के इस योजना का जोर-शोर से प्रचार किया गया. लेकिन, अगर जमीनी हकीकत देखे तो अब भी सात निश्चय योजना शहर में लागू नहीं की जा सकी है और न ही कोई योजना अब तक नप की कृपा से रफ्तार पकड़ सकी है. शहर में हर घर नल का जल योजना की अब तक शुरुआत भी नहीं हो सकी है. जबकि, नली गली सहित प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति भी काफी धीमी है.
शहर को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए भी अब तक जो भी प्रशासनिक प्रयास हुआ है, वह कागजी ही साबित हुआ है. शहर के सुजीत पांडेय, सुनील मिश्रा, अक्षय चंद चौधरी कहते हैं कि प्रशासनिक शिथिलता के चलते सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन शायद किसी क्षेत्र में सही ढंग से हो पाया है.
योजनाओं को पूरा करने में लायी जायेगी तेजी
शहर को ओडीएफ करने व सात निश्चय योजना को लागू किये जाने के संबंध में नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के 21 वार्डों में मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत कराये जानेवाले कार्यों का सर्वे कराया जा चुका है. इसे नगर विकास विभाग को भेज दिया गया है. अगस्त के अंत तक शहर को भी ओडीएफ करने का प्रयास किया जा रहा है.
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