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सरकारी उपेक्षा से बंद पड़े हैं औद्योगिक संस्थाएं

जहानाबाद(नगर) : औद्योगिक विकास की बात करने वाली सरकार को जिले में वर्षों से बंद पड़ा चमड़ा उद्योग नहीं दिख रहा है . विकास और रोजगार की असीम संभावनाओं को अपने अंदर समेटे यह उद्योग सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है . हालात यह है कि फैक्ट्री के अंदर लगे करोड़ो की मशीन जंग […]

जहानाबाद(नगर) : औद्योगिक विकास की बात करने वाली सरकार को जिले में वर्षों से बंद पड़ा चमड़ा उद्योग नहीं दिख रहा है . विकास और रोजगार की असीम संभावनाओं को अपने अंदर समेटे यह उद्योग सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है . हालात यह है कि फैक्ट्री के अंदर लगे करोड़ो की मशीन जंग के कारण नष्ट हो रही है .

इस मशीनों की सुरक्षा एवं देख -भाल की जिम्मेवारी एक गार्ड के हवाले है . जिले में औद्योगिक इकाइयों के बंद रहने के कारण युवा प्रतिदिन रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं . वहीं इस तरह के उद्योग जो हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम है उसकी अनदेखी हो रही है .

इस उद्योग में काम करने वाले लोग उद्योग के बंद होने से दर -दर की ठोकरें खा रहे हैं . औद्योगिक प्रागंण मे लगा उद्घाटन का बोर्ड इस बात का परिचायक है कि सन्1985 में जब जिले के रामाश्रय प्रसाद सिंह बिहार सरकार में उद्योग मंत्री थे तो उन्होंने जिले की विकास की नींव रखते हुए इन उद्योगों को स्थापित कराया था . लेकिन आज हालात यह है कि सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है जिसके कारण औद्योगिक इकाई अपना अस्तित्व खोता जा रहा है.

औद्योगिक प्रागंण इन दिनों जंगल में तब्दील हो गया है . चारों तरफ झाड़-जंगल उग आये हैं. वहीं फैक्ट्री में लगी मशीन भी रख-रखाव के अभाव में नष्ट हो रहे हैं. कई वर्षों से बंद रहने के कारण कई मूल्यवान सामानों की चोरी भी हो गयी है . यहां तक कि परिसर में लगा चापाकल भी चोरों ने उखाड़ लिया है .

इस उद्योग के बंद होने के कारण जिले के बेरोजगारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है . इस संबंध में स्थानीय लोग सरकार की उदासीनता पर अपना रोष प्रकट करते हुए बताते हैं कि अगर उद्योग -धंधा चालू रहता तो शहर अब तक कई गुना अधिक विकास कर गया होता . उनके द्वारा कई बार प्रशासन तथा सरकार से गुहार भी लगायी गयी है लेकिन अब तक इसका कोई प्रतिफल नहीं दिख रहा है .

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