शहर का दर्द शहरवासी ही जानते हैं. शायद यही ख्याल पाले नगर पर्षद अपने संसाधनों को सही-सलामत भी नहीं रख सका़ तभी, तो यांत्रिक संसाधनों से लैस रहे छोटे से इस शहर की सफाई भी ठीक से नहीं हो पाती़ सफाई के नाम पर पानी के तरह रुपये खर्च किये जा रहे हैं, मगर तकनीकी संसाधनों का नहीं है ख्याल़ यही बजह है कि नगर पर्षद का बुरा हाल है़
नगर पर्षद में यांत्रिक संसाधनों के नाम पर तो बहुत कुछ है, मगर कारगर इनमें से कुछ ही यंत्र बचे हैं़ इतने संसाधनों के बावजूद नप के लोग संसाधनों की कमी का रोना रोते हैं़ शहर में कुल 33 वार्ड हैं़ इन वाडरें में सफाई शायद ही नियमित होती है़ खुली गाड़ियों पर ही कूड़े-कचरों को लोड कर शहर के बीचोबीच से ले जाना नगर पर्षद की फितरत में शामिल है़ शहर की गलियों में कचरा इस कदर फैल गया है कि लोग नाक पर रूमाल रख कर आने-जाने को मजबूर हैं. इस ओर किसी भी जनप्रतिनिधि का भी ध्यान नहीं है.