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अतिक्रमण से खफा नदियां फसल पर बरपा रहीं कहर

आहर व पइन के अतिक्रमण से बढ़ीं मुश्किलें जहानाबाद : जिले के अधिकतर नदियों में पानी का बहाव तेजी से हो रहा है. ऐसे तो नदी का पानी किसानों के लिए वरदान साबित होता है. लेकिन, हाल के दिनों में कई जगहों पर नदी का पानी किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है. अतिक्रमण […]

आहर व पइन के अतिक्रमण से बढ़ीं मुश्किलें

जहानाबाद : जिले के अधिकतर नदियों में पानी का बहाव तेजी से हो रहा है. ऐसे तो नदी का पानी किसानों के लिए वरदान साबित होता है. लेकिन, हाल के दिनों में कई जगहों पर नदी का पानी किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है. अतिक्रमण से खफा नदियां फसलों पर कहर बरपा रही है. नदी का लाल पानी आम तौर पर खेतों को काफी फायदा पहुंचाता है. साथ ही खरीफ फसल के लिए उर्वरक का भी काम करता है. लेकिन, सदर प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों के दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां पारंपरिक सिंचाई के साधन से खिलवाड़ किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. हाल के दिनों में आहर व पइनों के अतिक्रमण का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. प्रखंड क्षेत्र के आलमपुर, अमैन, मोहनपुर, केंदुआ व रतनी प्रखंड क्षेत्र के भी कई ऐसे गांव हैं
जहां पइन का अतिक्रमण कर लिये जाने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आहर व पइन के भरे रहने की वजह से नदी का पानी खेतों में फैल रहा है. जगह-जगह पर आहर व पइन के भरे होने से बरसात के दिनों में किसानों के लिए प्रत्येक वर्ष मुश्किल पैदा होती है. नदी के पानी का निकास नहीं होने से पानी तटबंधों को तोड़ खेत से होकर गुजर रहा है. ऐसे में खेतों में अधिक समय तक पानी रहने पर धान की फसल को क्षति पहुंच सकती है.
खेतों के लिए वरदान साबित होने वाला क्षार व लवणयुक्त पानी किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो पा रहा है. वरदान साबित होने वाला नदी का पानी किसानों पर कहर बरपा रहा है. जिले के पश्चिमी इलाके से गुजरने वाली मोरहर, बलदइया, पुनपुन व दरधा सहित कई ऐसी नदियां हैं, जिनमें पानी का बहाव जारी है. नदी में सिंचाई के लिए कई जगहों पर बराज का निर्माण कराया गया है, लेकिन बराज से निकलने वाले पइन, नहर व आहर की जमीन खास कर गांव के समीप से गुजरने वाली जगहों पर अतिक्रमण की भेंट चढ़ गयी है. लोग पइन को कूड़े-कचरे से भर कर पूरी तरह समतल बना दिया है.
कई जगहों पर आहर व पइन को भर कर पक्का मकान भी बना लिया गया है. नतीजा पानी की निकासी नहीं होने से नदी का पानी फसल लगे खेतों में फैल जा रहा है.
ज्यादा दिन तक पानी रहने पर फसल को क्षति
किसानों का कहना है कि अगर अधिक दिनों तक नदी का पानी खेतों में रह गया, तो धान की फसल को क्षति पहुंच सकती है. साथ ही हाल-फिलहाल में रोपे गये धान के पौधे सड़-गल सकते हैं. किसान बताते हैं कि आहर व पइन को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया जाये, तो फसल पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा. लोगों का कहना है कि अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध सरकार सख्त कानून बनाये, ताकि कृषि प्रधान देश में सिंचाई के साधन से छेड़छाड़ करने वाले लोगों को दंड मिले.
चंद लोगों के कारण बड़े भू-भाग को नुकसान पहुंचता है. मौसम अनुकूल रहने के बावजूद सैकड़ों एकड़ फसल बरबाद हो जाती है. साथ ही जलनिकासी का उचित प्रबंध नहीं होने से बारिश के दिनों में फसल तो बरबाद होती ही है, सूखे की स्थिति में जल संकट भी पैदा हो जाता है. गांव के आसपास नदी का पानी नहीं पहुंचने के कारण भूगर्भीय जल स्तर तेजी से नीचे चला जाता है.
व पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है.

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