सोनो : दुर्घटनाओं के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाला बटिया घाटी का चिरेन पुल अब दुर्घटनाओं का पर्याय बन गया है. कभी घाटी के दोनों तरफ सुलभ यातायात मुहैया कराने वाला चिरेन पुल अभिशप्त होता जा रहा है.अब तो वाहनो के इस जगह से गुजरते वक्त चालक से लेकर यात्री तक एक बार अपने […]
सोनो : दुर्घटनाओं के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाला बटिया घाटी का चिरेन पुल अब दुर्घटनाओं का पर्याय बन गया है. कभी घाटी के दोनों तरफ सुलभ यातायात मुहैया कराने वाला चिरेन पुल अभिशप्त होता जा रहा है.अब तो वाहनो के इस जगह से गुजरते वक्त चालक से लेकर यात्री तक एक बार अपने इष्ट को अवश्य अपनी कुशलता के लिए याद कर लेते है. फिर भी दुर्घटनाएं लगातार हो रही है. दरअसल इस जगह की सरंचना ऐसी है
कि सावधानी हटते ही दुर्घटना सामने होती है.गत दो दिनों में इस पुल पर जिस तरह दो बड़ी दुर्घटनाएं हुई उससे प्रशासनिक तंत्र व संबंधित विभाग को यह समझना चाहिए कि अंग्रेज जमाने के इस सड़क को चिरेन के समीप कैसे चौड़ा करे ताकि वाहनो की आवाजाही बिना परेशानी के हो सके व दुर्घटनाओं को टाला जा सके. गुरुवार की सुबह इस पुल पर हुए ट्रक हादसे में में जहां चालक की मौत इलाज के दौरान हो गयी वही अन्य दो गंभीर रूप से घायल होकर सदर अस्पताल में इलाजरत है.
इस दुर्घटना के 24 घंटे पूर्व बुधवार को भी इसी पुल पर लगभग इसी अंदाज में बोलरो को पीछे से ट्रक ने टक्कर मारा था जिसमे आधा दर्जन कांवरिया घायल हो गए थे. इस घटना में बोलेरो पुल की रेलिंग तोड़ कर नीचे गहरे नदी में झुक गया था. इन दो ताजा दुर्घटनाओं के अलावे दो माह पूर्व भी लगातार दो दुर्घटनाएं इसी चिरेन पुल पर हुई थी जिसमे बालू भरा एक ट्रक तो पुल के नीचे जा गिरा था.तीन माह पूर्व इसी जगह गिट्टी लदा एक ट्रक चिरेन पुल के समीप पहाड़ से जा टकराया. यहीं पर एक ट्रक आग की आगोश में चला गया. इतिहास के पन्नो को पलटते जाने पर चिरेन पुल के समीप ऐसी दर्जनों दुर्घटनाओ की कहानी खुलती चली जायेगी जिसमें कई काल के गाल में समा गए जबकि दर्जनों घायल हुए. घाटी के बीच बहने वाली गहरी नदी पर बने इस पुल के सिवाय और कोई रास्ता घाटी पार करने का नही है लिहाजा जब जब पुल पर हादसे होते है तब तब सड़क अवरुद्ध होता है और वाहनो को जाम का सामना करना होता है.
भौगोलिक बनावट व संरचना सुरक्षित यातायात का है बाधक: बटिया घाटी में अंग्रेज जमाने से ही पहाड़ काटकर सड़क बनाया गया था. इसी दौरान चिरेन नदी पर पुल भी बना था. अपेक्षाकृत इस संकरे पुल के दोनों ओर के संपर्क पथ घुमावदार व चढाई पर है जबकि सड़क के दोनों ओर बड़े बड़े पहाड़ है. ऐसी भौगोलिक स्थिति के कारण एक तरफ से आ रहे वाहन को पुल के दूसरी ओर से आ रहा वाहन नही दीखता है और चूंकि एक तरफ से ढलुआ रास्ता से आने वाले वाहन को पुल के दूसरी ओर चढ़ाई का रास्ता तय करना होता है इसलिए प्रायः वाहन पुल पर आते वक्त तेज गति में होते है ताकि सड़क की चढ़ाई चढ़ने में वाहन को परेशानी नही हो. खासकर सामान से लदे ट्रक यदि तेज गति में नही आएंगे तो उन्हें परेशानी होगी. अब ऐसे में जबकि दूसरी ओर के वाहन नही दिख रहे हो तब दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
नयी तकनीकी की है जरूरत: इस समस्या से परेशान वाहन व लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं को देखते हुए जानकार कहते है कि पुल को थोड़ा चौड़ा कर उसके संपर्क पथ के समीप के बड़े बडे चट्टान को नयी व आधुनिक तकनीकी से काट कर उस जगह को चौड़ा किया जाना चाहिए ताकि पुल के दोनों ओर के वाहन चालक एक दूसरे के वाहन को आसानी से देख सके. आश्चर्य इस बात का है कि इतनी दुर्घटनाओं के बावजूद इसके समाधान को लेकर कोई पहल नही किया जा रहा है.
सड़क लुटेरों का भी है पसंदीदा जगह: चिरेन पुल के समीप की भौगोलिक सरंचना सड़क लुटेरों को भी आकर्षित करती है. दोनों ओर की सड़कों से आने जाने वाले वाहन के नहीं दिखने व सड़क की चढ़ाई के कारण सड़क लुटेरों का यह पसंदीदा जगह है. आंकड़ों को देखा जाय तो दुर्घटनाओं की ही तरह यहां दर्जनों सड़क लूट की घटना भी हुई है.