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काझातरी गांव : यहां दूध से ज्यादा अहमियत रखता है पानी

गंदा पानी पीने से चर्म रोग से पीड़ित हो रहे हैं ग्रामीण पानी के लिए लोगों को चलना पड़ता है दो किलोमीटर पहाड़ के दरार से निकलने वाला गंदा पानी पीने को विवश हैं ग्रामीण जमुई : जिला मुख्यालय से लगभग पचास किलोमीटर दूर लक्ष्मीपुर प्रखंड अंतर्गत दिग्घी पंचायत के नक्सल प्रभावित सूदुरवर्ती काझातरी समेत […]

गंदा पानी पीने से चर्म रोग से पीड़ित हो रहे हैं ग्रामीण

पानी के लिए लोगों को चलना पड़ता है दो किलोमीटर
पहाड़ के दरार से निकलने वाला गंदा पानी पीने को विवश हैं ग्रामीण
जमुई : जिला मुख्यालय से लगभग पचास किलोमीटर दूर लक्ष्मीपुर प्रखंड अंतर्गत दिग्घी पंचायत के नक्सल प्रभावित सूदुरवर्ती काझातरी समेत आधा दर्जन आदिवासी बाहुल्य गांव के लोग आजादी के 69 साल के बाद भी पेयजल की भीषण किल्लत से जूझ रहे हैं.
गांव के लोग पानी के लिए अभी भी प्रकृति और पहाड़ पर निर्भर हैं. ग्रामीणों की मानें तो आज भी सुबह-शाम सभी मौसम में अपने घर से डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चल कर पहाड़ के दरार के नाले से निकले पीने का पानी लाने को विवश हैं. ग्रामीण संगीता देवी, बड़की देवी, संझली देवी, चांसो देवी, फुलमणि देवी, रानी देवी, पार्वती देवी, तालो मुर्मू आदि महिलाओं ने बताया कि हमलोग लंबे समय से पहाड़ से निकलने वाले दरार से पीने का पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
जून जुलाई के महीने में तो हमलोग दो से तीन किलोमीटर पैदल चलकर मटियाकोड़ गांव से पानी लाते हैं.अत्यधिक गरमी पड़ने पर हमलोग पहाड़ के दरार से निकलने वाले नाले के समीप अपना सारा काम छोड़कर चार से पांच घंटा तक बैठे रहते हैं और गडढा भरने पर बरतन में पानी भरकर अपने अपने घर लाते हैं.
तब जाकर हमलोगों को अपने सभी कार्य के लिए पानी नसीब हो पाता है.घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु नाले के समीप बने गडढे में जमा पानी से ही काम चलाना पड़ता है.महिलाओं ने बताया कि इस गंदे पानी को पीने या नहाने से चर्म रोग, श्वेत प्रदर जैसी बीमारी हो रही है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
गांव के नंदकिशोर बेसरा, विजय बेसरा, ऐतवारी बेसरा, मुकेश बेसरा आदि ने बताया चुनाव के समय सभी दल के प्रत्याशी या पंचायत चुनाव लड़ने वाले लोग स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का आश्वासन तो जरूर देते हैं, लेकिन उसके बाद वे लोग हमारी समस्याओं की ओर ध्यान देना भी मुनासिब नहीं समझते हैं.
जिसके कारण हमारी समस्याएं आज तक जस की तस बनी हुई हैं. विदित हो कि काझातरी गांव जमुई, मुंगेर व बांका जिला के सीमा पर अवस्थित है.

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