पटना. एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार अगले पांच वर्षों में कोचिंग सेक्टर 5.2 लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री के रूप में डेवलप करेगा.
अगर कोचिंग सेक्टर को इंडस्ट्री की मान्यता दी जाये, तो रोजगार के लाखों अवसरों का सृजन होगा. पहले ही राज्य में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है.
कोचिंग सेक्टर को इंडस्ट्री की मान्यता देते हुए इसे विकसित करने पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने पर केवल राज्य में 10 लाख लोगों को रोजगार अवसर प्राप्त हो सकते हैं.
बिहार ही पहला ऐसा राज्य है, जहां वर्ष 2010 में कोचिंग एक्ट को लाया गया था, जिसका विजन ही कोचिंग को इंडस्ट्री के रूप में डेवलप करना था.
कोचिंग सेक्टर को इंडस्ट्री की मान्यता मिलने पर राज्य के लाखों इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को शिक्षक के रूप में रोजगार दिया जा सकता है.
कोचिंग संस्थान में शिक्षकों को 60 से 70 हजार रुपये की स्टार्टिंग सैलरी आसानी दी जा सकती है. इसके साथ ही रिसर्च स्कॉलर के रूप में भी कोचिंग सेक्टर से जुड़ने पर क्वालिटी जॉब के अवसर प्राप्त होंगे.
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टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ
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ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन
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मार्केटिंग सेक्शन
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एकाउंट सेक्शन
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डाटा ऑपरेटर
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एचआर
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सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट
राज्य में 22 लाख छात्र-छात्राएं सीधे तौर पर कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं. इनमें बोर्ड व विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र शामिल हैं.
केवल शहर में कोचिंग संस्थान में तैयारी करने वाले करीब आठ लाख छात्र-छात्रा हैं. राज्य के 10 से 11 लाख छात्र दूसरे राज्यों में बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं.
इससे भी करोड़ों के राजस्व का नुकसान होता है. एक अनुमान के तहत एक छात्र से 50 हजार रुपये के करीब राजस्व सरकार को प्राप्त होता है.
राज्य में 3.5 से 4 लाख शिक्षक कोचिंग संस्थानों से जुड़े हैं. इनमें 2 से 2.5 लाख शिक्षक केवल शहर के विभिन्न कोचिंग संस्थानों से जुड़े हैं.
एक से 1.5 लाख शिक्षक अच्छे वेतन के कारण दूसरे राज्यों के कोचिंग संस्थानों से जुड़े हैं. अगर राज्य के कोचिंग सेक्टर का विकास होता है, तो बाहर गये शिक्षक वापस लौटेंगे.
Posted by Ashish Jha