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रबी की खेती पर खाद का ग्रहण

परेशानी . कृषि विभाग और पैक्स बोआई के मौसम में किसानों को दे रहे दगा रबी की बोआई खाद संकट की भेंट चढ़ गयी है. जिले में ढूंढ़ने से भी खाद नहीं मिल रही है. नवंबर में 2114 मीटरिक टन डीएपी की जरूरत है, लेकिन एक ग्राम भी उपलब्ध नहीं है. गोपालगंज : इस बार […]

परेशानी . कृषि विभाग और पैक्स बोआई के मौसम में किसानों को दे रहे दगा

रबी की बोआई खाद संकट की भेंट चढ़ गयी है. जिले में ढूंढ़ने से भी खाद नहीं मिल रही है. नवंबर में 2114 मीटरिक टन डीएपी की जरूरत है, लेकिन एक ग्राम भी उपलब्ध नहीं है.
गोपालगंज : इस बार रबी की बोआई नोट और उर्वरक की कमी के बीच अटक गयी है. बैंक में रुपये नहीं मिल रहे हैं. किसानों ने यदि किसी तरह व्यवस्था कर भी ली, तो खाद ढूंढ़ने से नहीं मिल रही है. ऐसे में रबी की खेती पर जहां संकट छा गया है, वहीं किसान खेत तैयार कर बाजार में खाद खोजते फिर रहे हैं. इस बार जिले में सात हजार मीटरिक टन डीएपी की जरूरत है. नवंबर में 2114 मीटरिक टन डीएपी चाहिए, जो अब तक नहीं आया है.
कुछ ऐसा ही हाल यूरिया, पोटाश और एसएसपी का है. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी खाद के संकट से जूझते किसान महंगे दामों पर डीएपी खाद खरीदने को विवश हैं. ऐसे में बाजार में घटिया और ऊंचे दामों पर उर्वरक बेचे जा रहे हैं. इस हालात में इस बार गेहूं का उत्पादन कम होने की आशंका है. जिले के पश्चिमी क्षेत्र के किसान उत्तरप्रदेश के बाजारों से खाद खरीदने को विवश हैं. इसके लिए वे ऊंची कीमत अदा कर रहे हैं, वहीं पूर्वांचल के किसान बाजारों में खाक छान रहे हैं.
यदि कहीं उर्वरक मिल भी रहा है, तो उसके लिए मनमानी कीमत भी वसूली जा रही है.किसानों की सुविधा के लिए पैक्स ने खाद बेचने का लाइसेंस तो ले लिया, लेकिन किसी भी पैक्स में खाद उपलब्ध नहीं है. पैक्स में खाद उपलब्ध कराने के लिए सहकारिता विभाग अब तक उदासीन है. ऐसे में किसानों के हित की बात करनेवाला कृषि विभाग और पैक्स दोनों ही बोआई के मौसम में किसानों को दगा दे रहे हैं.
बिना खाद के किसान कैसे करेंगे खेती
कहता है सहकारिता विभाग
खाद खरीदने के लिए लाइसेंस पैक्स द्वारा लिये गये हैं. खाद खरीदना-बेचना उनका काम है. खाद की उपलब्धता के बारे में मुझे जानकारी नहीं है.
बबन मिश्र, जिला सहकारिता पदाधिकारी, गोपालगंज
कालाबाजारी पर नजर
लक्ष्य के अनुरूप उर्वरक नहीं मिला है. मांग की गयी है, जो भंडारण है उसको बंटवाया जा रहा है. बाजार में खाद की कालाबाजारी न हो इस पर नजर रखी जा रही है.
सुरेश प्रसाद, डीएओ, गोपालगंज

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