दंपती की मौत से सेमरबारी में मातम मुखाग्नि देनेवाला भी कोई नहीं हथुआ. विधि का विधान भी अजीब है. कहते हैं कि विवाह की वेदी पर जब जोड़े अग्नि के फेरे लेते हैं, तो साथ जीने-मरने की कसमें भी खायी जाती हैं. लेकिन, बहुत कम ही ऐसा होता है कि पति-पत्नी की चिता एक साथ जलती हो. इस पूरे वाकये में सिर्फ एक ही कमी रह गयी, मुखाग्नि देनेवाला कोई नहीं था. पति-पत्नी की चिता जब एक साथ जली, तो लोग इसे कुदरत का करिश्मा कहने लगे. कुछ ऐसा ही हुआ फुलवरिया थाना क्षेत्र के सेमरबारी गांव में. मंगलवार की वो काली रात भागवत सिंह के घर पर कहर बन कर टूटी. भागवत सिंह को यह पता नहीं था कि पति-पत्नी एक साथ खाना खाकर सोने जा रहे हैं, ये रात उनकी आखिरी होगी. दोनों को कोई संतान नहीं थी. अक्सर दोनों के दिमाग में एक बात चलती रहती थी कि उनके बुढ़ापे की लाठी कौन बनेगा लेकिन, ईश्वर ने इसका मौका ही नहीं दिया. दोनों एक साथ इस दुनिया से विदा हो गये. दोनों की मौत एक ही साथ एक ही चारपाई पर हो गयी. सुबह जब लोगों ने दोनों का शव देखा, तो दोनों एक ही साथ मरे पड़े थे. पुलिस और ग्रामीणों को उनकी अस्थियां ही मिलीं. संयोग देखें, शव की स्थिति ऐसी नहीं थी की उसे चिता पर सजाया जा सके. सिर्फ ऊपर वाले को ही यह पता था कि दोनों को मुखाग्नि देनेवाला कोई नहीं है, शायद तभी तो ग्रामीणों ने दोनों की अस्थियों को एक ही साथ जमीन के अंदर दफना दिया.
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दंपती की मौत से सेमरबारी में मातम
दंपती की मौत से सेमरबारी में मातम मुखाग्नि देनेवाला भी कोई नहीं हथुआ. विधि का विधान भी अजीब है. कहते हैं कि विवाह की वेदी पर जब जोड़े अग्नि के फेरे लेते हैं, तो साथ जीने-मरने की कसमें भी खायी जाती हैं. लेकिन, बहुत कम ही ऐसा होता है कि पति-पत्नी की चिता एक साथ […]
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