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चार साल में मात्र आठ सौ श्रमिकों का हुआ निबंधन

-कैसे बदलेगी मजदूरों की दशा-विभागीय उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे मजदूरसंवाददाता, बरौली मजदूरों को काम उपलब्ध करा कर उनकी दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा की गयी घोषणा यहां दम तोड़ रही है. श्रम एवं प्रवर्तन विभाग मजदूरों का निबंधन करने मंे हाफ रहा है. प्रखंड में निबंधित मजदूरों के आंकड़ों को देखा जाये, तो […]

-कैसे बदलेगी मजदूरों की दशा-विभागीय उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे मजदूरसंवाददाता, बरौली मजदूरों को काम उपलब्ध करा कर उनकी दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा की गयी घोषणा यहां दम तोड़ रही है. श्रम एवं प्रवर्तन विभाग मजदूरों का निबंधन करने मंे हाफ रहा है. प्रखंड में निबंधित मजदूरों के आंकड़ों को देखा जाये, तो विगत चार साल मंे मात्र 824 मजदूरों का निबंधन हो पाया है. प्रखंड में मजदूरों की संख्या एक लाख से अधिक है, लेकिन विभागीय उदासीनता का खामियाजा भुगतने को मजदूर विवश हैं. न्यूनतम गारंटी रोजगार योजना की बात दूर, निबंधन कार्यालय और निबंधन से होनेवाले लाभ की भी जानकारी मजदूरों को नहीं है. निबंधन कब और कहां होता है, शायद यहां किसी को पता है. ऐसे में मजदूर अपने हाल पर जीने को विवश हैं.क्या है नियमप्रत्येक प्रखंड कार्यालय स्थित श्रम विभाग द्वारा प्रति तीन माह पर सात हजार मजदूरों का निबंधन करना है. निबंधित मजदूरों को वर्ष में कम-से-कम सौ दिन का रोजगार उपलब्ध देना है, ताकि कोई मजदूर भुखमरी का शिकार न हो. इन मजदूरों को सरकार योजनाओं एवं कार्यों की जानकारी विभाग उपलब्ध करायेगा. मजदूरों में निबंधन के लिए जागरूकता लाना विभाग का काम है.एक नजर में निबंधित मजदूरवर्ष मजदूरों की संख्या2011 242012 1352013 1652014 500क्या कहते हैं अधिकारीतकनीकी गड़बड़ी और कर्मियों की कमी के कारण लक्ष्य के अनुरूप मजदूरों का निबंधन नहीं हो पाया है. इस कार्य में तेजी लायी जायेगी.महेश तिवारी, श्रम प्रवर्तन अधिकारी, बरौली

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