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मातृत्व के लिए एचआइवी शाप नहीं, 57 महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म

गोविंद कुमार, गोपालगंज : एचआइवी अब मातृत्व के लिए शाप नहीं रह गया है. बशर्ते महिलाओं को यह पता हो कि वे इससे संक्रमित हैं. चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआइवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है. अब उनके नवजात बच्चों की एड्स रिपोर्ट निगेटिव आ […]

गोविंद कुमार, गोपालगंज : एचआइवी अब मातृत्व के लिए शाप नहीं रह गया है. बशर्ते महिलाओं को यह पता हो कि वे इससे संक्रमित हैं. चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआइवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है. अब उनके नवजात बच्चों की एड्स रिपोर्ट निगेटिव आ रही है.

यह सब हुआ है सभी गर्भवती महिलाओं का एचआइवी टेस्ट अनिवार्य करने के बाद. आइएसओ प्रमाणित मॉडल सदर अस्पताल के एआरटी केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार दो वर्षों में 57 एचआइवी पीड़ित महिलाओं ने पूरी तरह स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है.
एआरटी व आइसीटीसी सह पीपीटीआइ केंद्र में एचआइवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं के इलाज के बाद इनके बच्चों को संक्रमित होने से बचाया गया है. काउंसेलर पूनम के मुताबिक एचआइवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं की जांच के बाद समयानुसार उनका इलाज चल रहा था. प्रसव के बाद इन सभी 57 बच्चों के ब्लड सैंपल को इआइडी टेस्ट के लिए कोलकाता भेजा गया था. जांच में सभी बच्चों को एचआइवी से सुरक्षित पाया गया है.
18 माह की जगह 45 दिनों में रिपोर्ट
एचआइवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं का प्रसव होने के बाद नवजात का भी सैंपल जांच के लिए भेजा जाता है. पहले बच्चे की उम्र 18 माह होने पर जांच करायी जा रही थी, लेकिन अब प्रसव के बाद 45 से 60 दिनों के अंदर ही नवजात का ब्लड सैंपल इआइडी टेस्ट के लिए कोलकाता भेज दिया जा रहा है, जिससे एचआइवी जांच कराना और आसान हो गया है.
कैसे फैलता है एचआइवी
एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क बनाने से फैलता है. इसके अलावा संक्रमित रोगी का ब्लड संक्रमित व्यक्ति को देने, संक्रमित ऑर्गन ट्रांसप्लांट से भी एचआइवी हो जाता है. यदि कोई महिला एचआइवी से संक्रमित है तो वह गर्भावस्था या प्रसव या स्तनपान द्वारा अपने बच्चे को भी इस रोग से संक्रमित कर सकती है.
बरतनी होती हैं ये सावधानियां
एचआइवी के नोडल पदाधिकारी डॉ पीएन राम ने बताया कि एचआइवी पॉजिटिव दंपतियों को नियमित दवाओं का सेवन करना होता है. डिलिवरी सरकारी महिला अस्पतालों में ही करानी होती है.
इसके अलावा नवजात को एक सीरप पिलाया जाता है, जिससे उसको एचआइवी का संक्रमण नहीं होता है. साथ ही मां को भी पालन-पोषण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी जाती है.
काउंसेलर बोलीं
एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं की देखभाल में दिन-प्रतिदिन सुधार हो रहा है. संक्रमित माताओं के गर्भ से जन्म लेनेवाले शिशु ही इस विषाणु की चपेट में आते हैं. यदि एचआइवी पीड़ित महिलाओं का समय पर सही उपचार और देखभाल हो, तो शिशु को एचआइवी से पूरी तरह बचाया जा सकता है. सदर अस्पताल के आइसीटीसी केंद्र पर इसकी नि:शुल्क काउंसेलिंग व एआरटी केंद्र पर दवाएं दी जा रही है.
पूनम, काउंसेलर, आइसीटीसी केंद्र
क्या कहती हैं डॉक्टर
एचआइवी पीड़ित महिलाएं पूरी तरह स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं. यह तब संभव है, जब जांच के बाद एआरटी केंद्र से नियमित दवा का प्रयोग करेंगी. अबतक 57 ऐसी एचआइवी पीड़ित महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है.
डॉ पिंकी झा, एआरटी केंद्र

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