मांझा : थाना क्षेत्र के कोईनी पश्चिमी टोला के इरशाद अली उर्फ मोहन की हत्या के मामले में पुलिस दो माह बाद भी कोई सुराग हासिल नहीं कर सकी है. साथ ही हत्याकांड का राज का भी खुलासा नहीं कर पायी है. उधर, मामले में जांच सुस्त पड़ने के कारण परिजन परेशान हैं और उन्हें न्याय मिलने की आस टूट रही है. परिजनों ने इस मामले में एसपी को भी आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है. यहां बता दें कि इस मामले में परिजनों ने गांव के ही जमीन विवाद में हत्या को कारण बताते हुए पांच लोगों को आरोपित कर थाने में शिकायत दर्ज करायी थी.
पुलिस ने एक आरोपित डॉ मुन्ना को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है. लेकिन, अन्य चार आरोपित फरार हैं और पुलिस हत्या के कारणों का पता नहीं लगा पायी है. उधर, मृतक के भाई अबरे आलम ने बताया कि पुलिस इस हत्याकांड में कुछ भी नहीं कर रही है. अगर पुलिस कुछ करती तो हत्या करने वाले अपराधी खुलेआम गांव में नहीं घूमते. हम लोग पुलिस अधीक्षक से मिले हैं. अगर एक सप्ताह के अंदर कानूनी कार्रवाई नहीं होती है तो हम लोग डीआईजी से मिलेंगे.
क्या है इरशाद हत्या का पूरा मामला
इरशाद उर्फ मोहन बीते 11 मई को घर से निकला था. दूसरे दिन घर नहीं लौटने पर 12 मई को परिजनों ने थाने में अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करायी. लेकिन, पुलिस ने अपहरण के मामले में गंभीरता से नहीं लिया. वहीं, अपहरणकर्ताओं ने इरशाद की हत्या कर दी और दो दिन बाद 13 मई को गंडक नदी में हाथ-पैर बंधा इरशाद का शव मिला. उस दिन से लेकर अभी तक मृतक की पत्नी सबीना खातून एवं मां तारा खातून का रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं, पत्नी को अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंता सता रही है.
150 पर केस, 16 नामजद
क्या है पूरा मामला
पियरौटा गांव में पानी बहाने के विवाद को लेकर किशोर राम की पीट कर हत्या कर दी गयी थी. किशोर राम की मौत इलाज के क्रम में गोरखपुर में हो गयी थी. शनिवार की रात लगभग आठ बजे जब किशोर राम का शव पियरौटा गांव पहुंचा तो ग्रामीणों का गुस्सा घटना को अंजाम देने वाले लाल जी राम के परिजनों पर भड़क उठा. इसके साथ ही ग्रामीणों ने किशोर राम के शव को हुस्सेपुर जगतौली पथ पर पियरौटा गांव के समीप रख कर जाम कर दिया. काफी समझाने के बाद भी ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हुए. स्थिति को देखते हुए हथुआ अनुमंडल के सभी थानों को बुला लिया गया.
लेकिन, इसके बाद भी ग्रामीण शव को लेकर पियरौटा गांव से पांच किमी दूर हुस्सेपुर चले गये और रात के 11.45 बजे भोरे मीरगंज मुख्य पथ को जाम कर दिया. इस दौरान ग्रामीण लगातार पुलिस पर पांच लाख रुपये देने का दबाव बनाने लगे व पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. लोगों को समझा रही पुलिस टीम पर अचानक ग्रामीणों ने हमला कर दिया, जिसमें एएसआई संजय कुमार सिंह घायल हो गये. इस दौरान पुलिस टीम से धक्का-मुक्की भी की गयी. सुबह चार बजे काफी समझाने के बाद ग्रामीण शव लेकर वापस गये.
थानेदार के बयान पर 16 को किया गया नामजद
पूरे मामले की पुलिस ने वीडियोग्राफी करायी है. इसके साथ ही चौकीदार और स्थानीय लोगों की पहचान के आधार पर 16 लोगों को थानाध्यक्ष अजीत कुमार सिंह के बयान पर अभियुक्त बनाया गया है.
जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है, उनमें भोरे थाने के पियरौटा निवासी बृजकिशोर गिरी, रामाकांत राम, छट्ठू राम, जलेश्वर पंडित, जवाहर साह, हीरा साह, सुखलाल राम, अनिल साह, अर्जुन गुप्ता, झूलन साह, अर्जुन कुमार साह, राम स्नेही पंडित, सुमेरीछापर निवासी चंदन साह, लक्ष्मीपुर निवासी अकबर अली, लामीचौर निवासी हेमंत कुमार सिंह को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. इसके अलावा 150 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.