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सब्सिडी पर गरीब महिला समूहों का हक, लूट रही ”जीविका”

गया : आर्थिक रूप से निर्धन महिलाओं को स्वरोजगार देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1999 में लायी गयी स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना को धरातल पर उतारा गया. इसके तहत गरीब महिलाओं को समूह बनाने की जिम्मेवारी दी गयी और केंद्र सरकार द्वारा हर समूह में सब्सिडी के रूप में 1.25 लाख रुपये दिये […]

गया : आर्थिक रूप से निर्धन महिलाओं को स्वरोजगार देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1999 में लायी गयी स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना को धरातल पर उतारा गया. इसके तहत गरीब महिलाओं को समूह बनाने की जिम्मेवारी दी गयी और केंद्र सरकार द्वारा हर समूह में सब्सिडी के रूप में 1.25 लाख रुपये दिये जाने लगे.

महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाये गये निर्णयों को और प्रभावी बनाने के लिए एक जनवरी 2012 से केंद्र सरकार ने स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना को बंद कर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) लागू किया. साथ ही एनआरएलएम में सब्सिडी को 1.25 लाख रुपये से बढ़ा कर 2.50 लाख रुपये कर दिये गये. ये बातें प्रेरणा ग्रामीण महिला विकास सहयोग समिति ट्रस्ट के प्रमुख अवधेश कुमार उपाध्याय ने कही हैं. श्री उपाध्याय का कहना है कि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना में बहुत सारी संस्थाएं गरीब महिला समूह बनाने का कार्य करती थीं और केंद्र सरकार द्वारा समूह को सब्सिडी दिलाने का कामकाज करती थीं.

उनका काम बंद कर सरकार ने महिला समूह बनाने की जिम्मेवारी अकेले जीविका एनजीओ के हाथों में सौंप दी. जीविका द्वारा महिला समूह तो बनाया गया. लेकिन, समूहों को सब्सिडी का भुगतान नहीं कर अरबों रुपये लूट लिये जा रहे हैं. इसलिए इस मामले की सीबीआइ जांच हो, तो सारी सच्चाई सामने आ जायेगी और इसका खुलासा हो जायेगा. गरीब महिला समूहों को दी जानेवाली सब्सिडी से संबंधित रुपये कहां जा रहे हैं. सब्सिडी पर गरीब महिला समूहों का हक है. इसे जीविका एनजीओ द्वारा लूटा जा रहा है. श्री उपाध्याय ने बताया कि उक्त मामले को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित अन्य वरीय अधिकारियों से शिकायत की है.

क्या कहते हैं जीविका के जिला प्रभारी
जीविका के जिला प्रभारी आलोक कुमार ने बताया कि जीविका के तहत बनाये जा रहे महिला समूहों को सब्सिडी देने से संबंधित कोई नियम ही नहीं है, तो फिर समूहों को सब्सिडी का भुगतान करने का प्रश्न उठता ही नहीं है. उन्होंने बताया कि कई वर्षों से जीविका का कामकाज संभाल रहे हैं. लेकिन, अबतक सब्सिडी देने का निर्देश वरीय अधिकारियों से नहीं मिला है.

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