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पितृपक्ष: देवघाट से सीताकुंड तक लगा रहा तांता, 1.75 लाख से अधिक लोगों ने किया श्राद्ध

गया : पितृपक्ष मेले में गया श्राद्ध के सातवें दिन पिंडदानियों की बड़ी संख्या विष्णुपद मंदिर की सोलह वेदियों पर पिंडदान के लिए उमड़ी. सोलह वेदी का परिसर व मंदिर के अन्य स्थान पिंडदानियों से दोपहर तक खचाखच भरा रहा. यही नहीं, देवघाट से लेकर सीताकुंड तक पिंडदानियों का तांता लगा रहा. मौसम सुहाना होने […]

गया : पितृपक्ष मेले में गया श्राद्ध के सातवें दिन पिंडदानियों की बड़ी संख्या विष्णुपद मंदिर की सोलह वेदियों पर पिंडदान के लिए उमड़ी. सोलह वेदी का परिसर व मंदिर के अन्य स्थान पिंडदानियों से दोपहर तक खचाखच भरा रहा. यही नहीं, देवघाट से लेकर सीताकुंड तक पिंडदानियों का तांता लगा रहा. मौसम सुहाना होने की वजह से हजारों की संख्या में पिंडदानियों ने नदी परिसर में भी पिंडदान किया. नदी परिसर में पिंडदानियों की सुरक्षा में एसएसबी के जवान मुस्तैद रहे. पंडा समाज के आकलन के मुताबिक, विभिन्न पिंड स्थलों पर करीब पौने दो लाख तीर्थयात्रियों ने बुधवार को श्राद्धकर्म किया. पंडा समाज से जुड़े ब्राह्मणों ने बताया कि सोलह वेदी में पिंडदान करने से सौ कुलों का उद्धार हो जाता है.

बुधवार तड़के से ही बड़ी संख्या में सोलह वेदी परिसर में पिंडदान करने के लिए तीर्थयात्री जुटने लगे थे. पिंडदानियों के ब्राह्मण अपने यजमान के लिए जगह सुनिश्चित करने की होड़ में लगे थे. जगह मिलते ही अपने यजमान के साथ पिंडदान के विधि-विधान से जुट गये थे. जिन पिंडदानियों को सोलह वेदी परिसर के अंदर जगह नहीं मिली, उन्होंने मंदिर परिसर के दूसरे स्थान पर ही पिंडदान के लिए जगह सुरक्षित कर ली थी. देखते ही देखते विष्णुपद मंदिर परिसर पिंडदानियों से भर गया. आलम रहा कि लोगों को बड़ी ही सजगता के साथ आवाजाही करनी पड़ी. पिंडदानी पायस, सत्तू, आटा, चावल, फल फूल या दही, घी व मधु से पिंडदान करने में जुटे रहे.

विष्णुपद मंदिर के गर्भ गृह में स्थित विष्णु चरण के दर्शन के लिए तीर्थयात्रियों की लंबी कतार डालमिया सदन से बनी हुई थी. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दूसरी कतार श्मशान घाट के तिराहे से लेकर विष्णुपद परिसर तक लगी रही. मंदिर परिसर भगवान विष्णु के जयघोष से गूंज उठा. पंडा समाज से जुड़े पंडितों ने बताया कि देवघाट से लेकर सीताकुंड तक पिंडदानी पिंडदान करने में जुटे रहे. दोपहर से पूर्व तक मौसम सुहाना होने का लाभ उठाते हुए पिंडदानी देवघाट, गदाधर घाट से लेकर नदी परिसर में दूर-दूर तक फैले हुए थे. नदी परिसर में सिर्फ लोग ही नजर आ रहे थे. कई पिंडदानी नदी से होते हुए सीताकुंड जा रहे थे.

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