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”राेजेदारों के लिए जन्नत जाने का अलग दरवाजा”
गया: हादी हाशमी प्लस टू स्कूल के कैंपस में रविवार की शाम दारूल अमान वेलफेयर साेसाइटी के तत्वावधान में इस्तकबाल-ए-रमजान उल मुबारक काॅन्फ्रेंस का आयाेजन किया गया. काॅन्फ्रेंस की शुरुआत सूरह बकरा की तिलावत से हुई. उसके बाद नात-ए-पाक पेश किया गया. इस माैके पर बनारस से आये माैलाना अब्दुल गफ्फार सलफी ने साेमवार काे […]
गया: हादी हाशमी प्लस टू स्कूल के कैंपस में रविवार की शाम दारूल अमान वेलफेयर साेसाइटी के तत्वावधान में इस्तकबाल-ए-रमजान उल मुबारक काॅन्फ्रेंस का आयाेजन किया गया. काॅन्फ्रेंस की शुरुआत सूरह बकरा की तिलावत से हुई.
उसके बाद नात-ए-पाक पेश किया गया. इस माैके पर बनारस से आये माैलाना अब्दुल गफ्फार सलफी ने साेमवार काे दूज के चांद के बाद मंगलवार से शुरू हाेनेवाले रमजान-उल-मुबारक के पाक महीने की फजीलताें पर राेशनी डाली. उन्हाेंने कहा कि रमजान में लाेग चांद देखने की काेशिश करें. रमजान में लाेग शब-ए-कद्र का पूरा-पूरा एहतेमाम करें.
राेजे काे पूरे परहेज के साथ रखने पर जाेर दिया गया. उन्हाेंने कहा कि राेजा के जरिये अल्लाह का डर है. राेजेदाराें के लिए जन्नत (स्वर्ग) में जाने के लिए एक अलग दरवाजा है. इसमें बिना राेक के जाने की इजाजत हाेती है. रमजान का एक राेजा भी काेई जान-बूझ कर छाेड़ेगा, ताे जिंदगी भर राेजे रखने से भी यह पूरा नहीं हाेगा. इस माैके पर पटना से आये इंजीनियर यूसुफ खान ने जकात की अहमियत व फिक्र-ए-आखिरत पर तकरीर की. अध्यक्षता शब्बीर खान व मंच का संचालन रजाउल्लाह नदवी ने किया.
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