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पिंडदानियों के लिए जमीन बिछावन व आसमान चादर

गया: गरीबी पर भारी पड़ रही है आस्था. सड़क पर खाना बना कर व रात गुजार कर भी पितृपक्ष के मौके पर पिंडदानी अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना में रत हैं. मध्यप्रदेश रायसेन जिले के सुल्तानपुर गांव व आसपास के गांवों से आये 70 यात्रियों का जत्था गया क्लब के पास सड़क किनारे खाना […]

गया: गरीबी पर भारी पड़ रही है आस्था. सड़क पर खाना बना कर व रात गुजार कर भी पितृपक्ष के मौके पर पिंडदानी अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना में रत हैं.

मध्यप्रदेश रायसेन जिले के सुल्तानपुर गांव व आसपास के गांवों से आये 70 यात्रियों का जत्था गया क्लब के पास सड़क किनारे खाना बना कर रात गुजारने को विवश है. खाना बनाते चरणदास पुजारी ने बताया कि गरीब आदमी हैं, परंपरा निभाने के लिए यहां आना होता है. इतनी शक्ति नहीं है कि हमलोग होटल व धर्मशाला में रह कर पिंडदान की प्रक्रिया पूरी कर सकें. रोड पर खाना बना रहे रायसेन निवासी भाव सिंह ने बताया कि होटल, धर्मशाला या आवासन में लकड़ी व कांडी पर खाना बनाने की व्यवस्था नहीं होती. होटल में रह कर खाना हमलोगों के वश की बात नहीं है. गांव से ही साथ में कांडी व लकड़ी लेकर आये हैं.

आवासन व पंडों द्वारा भी रहने की व्यवस्था की जाती है, पर मेले के दौरान इतनी भीड़ होती है कि रहने में वहां परेशानी होती है. चरणलाल खुसवार ने बताया कि सामाजिक परंपरा को निभाना मजबूरी है. आस्था है कि गया में पितृपक्ष के मौके पर पिंडदान करने पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. किसी तरह व्यवस्था कर गांव से यहां आये हैं. धार्मिक कार्य संपन्न कराना पहली प्राथमिकता है. उल्लेखनीय है कि पिंडदानियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा आवासन की भी व्यवस्था की गयी है.

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