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घट रही शिक्षकों की संख्या
बोधगया: उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और बेहतर करने के प्रयास में संसाधनों के साथ-साथ शिक्षकों की कमी भी बाधक बनी हुई है. नियुक्ति पर लंबे समय से ब्रेक लगने के कारण सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों का घोर अभाव हैं. इसी कड़ी में मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में भी शिक्षकों की संख्या में […]
बोधगया: उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और बेहतर करने के प्रयास में संसाधनों के साथ-साथ शिक्षकों की कमी भी बाधक बनी हुई है. नियुक्ति पर लंबे समय से ब्रेक लगने के कारण सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों का घोर अभाव हैं.
इसी कड़ी में मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में भी शिक्षकों की संख्या में निरंतर कमी देखी जा रही है. एमयू में हर वर्ष शिक्षक रिटायर्ड हो रहे हैं, लेकिन उनके स्थान में नयी नियुक्ति नहीं हो रही हे. इससे शिक्षकों की कमी पड़ गयी है. एमयू मुख्यालय स्थित विभिन्न पीजी विभागों में स्वीकृत पदों से काफी कम शिक्षक हैं.
कई विभाग तो मात्र एक शिक्षक के सहारे चल रहा है, जबकि विभागों में छात्र-छात्रओं के लिए निर्धारित सीटों की संख्या में कमोबेश बढ़ ही रही है. कई नए पीजी विभाग भी खोले जा रहे हैं. ऐसे में शिक्षकों की कमी से छात्र-छात्रओं को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मुकम्मल रूप से कैसे मिल पायेगी? यह बड़ा सवाल है.
उर्दू व संस्कृत समेत कई विभागों में मात्र एक शिक्षक
मगध विश्वविद्यालय के कई विभागों को एक मात्र शिक्षक के सहारे चलाया जा रहा है. हर वर्ष इन विभागों में नामांकन भी लिये जा रहे हैं. परीक्षाएं भी हो रही हैं. रिजल्ट भी प्रकाशित किये जा रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि एक शिक्षक के जरिये कोर्स किस तरह पूरे किये जा रहे हैं.
एमयू मुख्यालय के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ उर्दू, डिपार्टमेंट ऑफ संस्कृत, डिपार्टमेंट ऑफ वूमेन एजुकेशन, डिपार्टमेंट ऑफ मगही, डिपार्टमेंट ऑफ एलएसडब्ल्यू, डिपार्टमेंट ऑफ होम साइंस, डिपार्टमेंट ऑफ बुद्धिष्ट स्टडी व डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में एक ही शिक्षक हैं. कई विभागों में संविदा व एडहॉक के आधार पर रखे गये शिक्षकों के जरिये पढ़ाई-लिखाई की जा रही है.
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