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बी-टेक व प्रोफेशनल कोर्स के 35% छात्र बेरोजगार
बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) के अर्थशास्त्र विभाग की तरफ से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन मंगलवार को कुलपति प्रो (डॉ) एम इश्तियाक व विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये शिक्षाविदों ने दीप जला कर किया. एमयू के शिक्षा विभाग स्थित डॉ राधाकृष्णन हॉल में आयोजित सेमिनार में डॉ बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, के पूर्व कार्यकारी […]
बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) के अर्थशास्त्र विभाग की तरफ से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन मंगलवार को कुलपति प्रो (डॉ) एम इश्तियाक व विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये शिक्षाविदों ने दीप जला कर किया.
एमयू के शिक्षा विभाग स्थित डॉ राधाकृष्णन हॉल में आयोजित सेमिनार में डॉ बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, के पूर्व कार्यकारी कुलपति प्रो एनएमपी वर्मा ने कहा कि बी-टेक व प्रोफेशनल कोर्सो की पढ़ाई करनेवाले 35 प्रतिशत छात्र-छात्रओं को नौकरी नहीं मिल रही है.
इसी कारण हर वर्ष देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है. गुड गर्वनेंस के लिए ह्यूमन कैपिटल में बदलाव पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मार्केट में क्वालिटी ट्रेंड व प्रोफेशनल्स की काफी कमी है. विदेश व गृह मंत्रालय को स्क्रूड माइग्रेशन को सुलभ बनाना चाहिए. ताकि, छात्र-छात्रओं को देश के बाहर भी रोजगार के अवसर मिल सके.
सेमिनार के आयोजन में अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक एलएसडब्ल्यू विभाग के डॉ राजेश कुमार, दरकशां अहमद, गुडली सिन्हा, शीप्रा सिंह, मुकतुजुग रहमान काजी व शमीम उल हक आदि का सराहनीय योगदान रहा. धन्यवाद ज्ञापन अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो विक्रमा सिंह ने किया.
एमयू के कुलपति ने भी अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष की भी सराहना की. सेमिनार में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं व शोधार्थी भी शामिल हुए.
शोध-छात्रों के लिए उपयोगी है सेमिनार
‘रीपिंग डेमोग्राफिक डिविडेंड इन इंडिया : चैलेंजेज फॉर एंप्लॉयबिलिटी एंड एंप्लॉयमेंट’ विषय शीर्षक पर आयोजित सेमिनार के संदर्भ में एमयू के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो एलएस सिंह ने कहा कि यह सेमिनार प्री-पीएचडी छात्रों के लिए उपयोगी है. इसमें पढ़े जानेवाले शोध पत्रों के जरिये नये शोधार्थियों को फायदा होगा. नयी जानकारी मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह सेमिनार मेक इन इंडिया के कॉन्सेप्ट पर आधारित है. प्रो सिंह ने सेमिनार में आये सभी शिक्षाविदों का स्वागत किया व छात्र-छात्रओं को सेमिनार से लाभ उठाने की अपील की.
नेशनल फीलिंग की कमी से परेशानी
तिलका मांझी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केके सिंह ने कहा कि भारतीयों के अंदर नेशनल फीलिंग (देशभक्ति की भावना) की कमी है, जबकि जर्मनी व जापान के लोगों में ऐसा नहीं है. उन्होंने एक जर्मन व्यक्ति द्वारा गóो के चूस (गाद) से चिड़िया बना कर 20 रुपये कमाने की प्रवृत्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि उन देशों के लोग बेरोजगार होना पसंद नहीं करते हैं. सामाजिक माइंड सेट को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह rाूमन डेवलपमेंट (मानवीय विकास) के लिए जरूरी है. इस दौरान रांची विश्वविद्यालय के प्रो एमएल सिंह ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या ने विस्फोट का रूप ले रखा है. जनसंख्या के अनुपात में खाद्य पदार्थो में बढ़ोतरी नहीं हो रही है.
अच्छे शिक्षकों की कमी
अपने संबोधन में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एम इश्तियाक ने कहा कि आज देश के स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालयों में अच्छे शिक्षकों की काफी जरूरत है. भारत के 30 से 35 प्रतिशत नौजवान को ट्रेंड कर दिया जाये, तो हम अपने स्कील्ड लेबर के बल पर दुनिया को चला सकते हैं. कुलपति ने समाज व सरकार को डेमोग्राफी चेक के लिए भी काम करने की बात कही. इस दौरान उन्होंने छह बातों पर जोर दिया. इनमें अपनी जनसंख्या को उसकी जरूरत के अनुसार ट्रेंड करना, सिस्टम को रि-ऑरिएंट व सिलेबस को मॉडिफाइड करना, आधी आबादी (महिलाओं) को ट्रेंड कर आगे लाने का प्रयास करना व लेबर मोबिलिटी को आसान बनाना है. उन्होंने विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने व इन्फॉरमेशन (सूचना) को आसानी से नौजवानों तक पहुंचाने की बात कही, ताकि उन्हें रोजगार मिल सके.
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