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पुत्र वियोग का राजा दशरथ को था शाप

प्रतिनिधि, मानपुर भुसुंडा मेला मैदान मे चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पांचवें दिन स्वामी रंगारामानुजाचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन क दौरान बताया की भगवान श्री राम के वन चले जाने के बाद राजा दशरथ ने अपनी बड़ी पत्नी कौशल्या को कहा . मैं एक दिन जंगल में शिकार करने गया था इसी […]

प्रतिनिधि, मानपुर भुसुंडा मेला मैदान मे चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पांचवें दिन स्वामी रंगारामानुजाचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन क दौरान बताया की भगवान श्री राम के वन चले जाने के बाद राजा दशरथ ने अपनी बड़ी पत्नी कौशल्या को कहा . मैं एक दिन जंगल में शिकार करने गया था इसी दौरान सप्तवेदी वाण के द्वारा एक मुनी पर जंगली हिंसक पशु समझ कर श्रवण कुमार पर वाण चला दिया. वे अपने अंधे माता -पिता के लिए नदी से जल लाने गया था. लेकिन वाण से उनका प्राण चला गया. उनके अंधे माता -पिता ने उसी समय मुझे श्राप दिया था कि राजन अगर तुम हमारे पास आकर अपना अपराध स्वीकार नहीं करता तो मैं अपने श्राप से पुरा रधुवंशीयों को नाश कर देता. लेकिन तुम से अज्ञात अपराध हो गया है इसलिए हम तुम को श्राप देते है कि जिस तरह हम अपने पुत्र के वियोग में तड़प-तड़प कर मर रहे है. वैसे ही तुम एक दिन पुत्र के वियोग में मृत्यु होगा.

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