हाल एएन मगध मेडिकल अस्पताल कासंवाददाता, गयाएएन मगध मेडिकल कॉलेज में भरती लावारिस मरीज की मौत होने पर शव के दाह-संस्कार की जिम्मेवारी अस्पताल प्रशासन की होती है. लेकिन, इसके लिए कोई फंड नहीं है. हालांकि लंबे समय से अस्पताल के कंटीजेंसी फंड से शव का दाह-संस्कार करने के लिए 700 रुपये दिये जाते रहे हैं. लेकिन, ये रुपये भी महंगाई में काफी कम पड़ जाते हैं. ऐसे में चंदा से शेष रुपये का प्रबंध किया जाता है. ऐसा ही एक वाकया अस्पताल में सोमवार को देखा गया. अस्पताल का एक कर्मचारी वहां के अधिकारियों से चंदा मांगते नजर आया. पूछने पर पता चला कि एक लावारिस शव के दाह-संस्कार के लिए चंदा लिया जा रहा है. अस्पताल अधीक्षक डॉ सुधीर कुमार सिन्हा ने बताया कि पोस्टमार्टम के लिए जो शव आता है, उसके दाह-संस्कार की जिम्मेवारी पुलिस की होती है. वहीं, अगर किसी लावारिस मरीज की मृत्यु हो जाये, तो 72 घंटे तक पहचान के लिए शव को रखे जाने के बाद उसका दाह-संस्कार कराना अस्पताल प्रशासन की जिम्मेवारी हो जाती है. लेकिन, इसके लिए कोई फंड की व्यवस्था नहीं की गयी है. उन्होंने कहा कि गया में कोई ऐसी स्वयंसेवी संस्था भी नहीं है, जो लावारिस शवों का दाह-संस्कार कराये. उन्होंने कहा कि रोगी कल्याण समिति की अगली बैठक में इस मुद्दे को लाया जायेगा. यदि पारित हो गया तो यह समस्या दूर हो जायेगी.
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चंदे के पैसे से होता है लावारिस शवों का दाह-संस्कार
हाल एएन मगध मेडिकल अस्पताल कासंवाददाता, गयाएएन मगध मेडिकल कॉलेज में भरती लावारिस मरीज की मौत होने पर शव के दाह-संस्कार की जिम्मेवारी अस्पताल प्रशासन की होती है. लेकिन, इसके लिए कोई फंड नहीं है. हालांकि लंबे समय से अस्पताल के कंटीजेंसी फंड से शव का दाह-संस्कार करने के लिए 700 रुपये दिये जाते रहे […]
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