गया : व्हाट्सएप, इमेल, फेसबुक आदि के जमाने में ग्रीटिंग्स कार्ड खरीदनेवालों की भीड़ थम सी गयी है. चार-पांच वर्ष पहले तक बाजार के चौक-चौराहों पर एक जनवरी आने से एक सप्ताह पहले ही कार्ड की कई दुकानें देर रात अस्थायी तौर पर लगायी जाती थीं. अधिक संख्या में दुकानें होती थीं, तो वहां खरीदारों की भी कमी नहीं रहती थी.
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इंटरनेट ने ग्रीटिंग्स कार्ड का बाजार किया मंदा
गया : व्हाट्सएप, इमेल, फेसबुक आदि के जमाने में ग्रीटिंग्स कार्ड खरीदनेवालों की भीड़ थम सी गयी है. चार-पांच वर्ष पहले तक बाजार के चौक-चौराहों पर एक जनवरी आने से एक सप्ताह पहले ही कार्ड की कई दुकानें देर रात अस्थायी तौर पर लगायी जाती थीं. अधिक संख्या में दुकानें होती थीं, तो वहां खरीदारों […]
कार्ड व गिफ्ट विक्रेता आलोक जैन कहते हैं कि पहले सस्ते व महंगे दोनों तरह के कार्डों की बिक्री होती थी. एक जनवरी के इंतजार में कई माह पहले से ग्रिटिंग्स कार्ड मंगवा कर रखा जाता था. कार्ड में हर वर्ष नये-नये बदलाव होते थे. लेकिन, इंटरनेट के जमाने ने कार्ड की बिक्री को ही मंदा कर दिया है. अब यहां कुछ गिने-चुने लोग ही कार्ड अपने परिचित को भेजते हैं. हर वर्ष इसका बाजार गिरता ही जा रहा है.
उन्होंने बताया कि कार्ड भी अब कुछ ही दुकानों में बेचे जाते हैं. फुटपाथ व अस्थायी तौर पर कहीं भी अब ग्रिटिंग्स कार्ड की दुकानें नहीं लगायी जाती हैं. कार्ड की बिक्री अब दुकानों में भी महज 25 फीसदी ही रह गयी है. उन्होंने कहा कि अब लोग व्हाट्सएप, फेसबुक व मेल से लोगों को बधाई देना आसान समझने लगे हैं.
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