गया : मार्गशीर्ष यानी माघ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि जिसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है, के दिन स्नान-दान पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन माैन धारण कर लाेग ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी या फिर पास के किसी नदी या सराेवर में स्नान कर दान करते हैं. इसका बड़ा पुण्यफल मिलता है.
साेमवार काे माैनी अमावस्या पर विष्णुपद के पास फल्गु नदी व सूर्यकुंड में श्रद्धालुआें ने स्नान कर विष्णुपद मंदिर में पूजा-अर्चना कर गरीब व जरूरतमंदाें काे अन्न व अर्थदान किया. दूसरी तरफ विष्णुपद, देवघाट व फल्गु नदी में देश के विभिन्न प्रांतों से आये सैकड़ों तीर्थयात्रियों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान व तर्पण किया.
श्रीविष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के पूर्व सचिव अमरनाथ धाेकड़ी बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि जिन परिवारों को प्रेत बाधा सताता है, वैसे परिजनों को मौनी अमावस्या के दिन पिंडदान व श्राद्धकर्म करने से उन्हें प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है.
उन्होंने बताया कि अकाल मृत्यु के कारण मरने वालों की आत्माएं भटकती रहती है. इन आत्माओं की मुक्ति के लिए मौनी अमावस्या के दिन पिंडदान व श्राद्धकर्म करने वाले तीर्थयात्रियों को विशेष महत्व मिलता है.