गया : आम तौर पर यह मान्यता रही है कि बच्चे को जितना अधिक दूध पिलायेंगे वह उतना ही स्वस्थ रहेगा. यह होता भी है. बच्चा कुछ खाये या नहीं,उसे दूध खूब पिलाया जाता है. पूरे 24 घंटे में दो-तीन बार मां उसे दूध पिला देती है. यह मान कर कि बच्चे को संपूर्ण आहार मिल गया. लेकिन ऐसा नहीं है. दूध का अधिक सेवन बच्चे को बीमार बना देता है. शिशु आहार विशेषज्ञ सैयद मुमताज करीम के मुताबिक अधिक मात्रा में दूध पीने वाले बच्चे कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं.
इनमें मुख्य रूप से मोटापा और खून की कमी है. उनके मुताबिक दूध में हर वह पोषक तत्व नहीं है जो इंसान के शरीर को चाहिए. इसलिए बहुत जरूरी है कि दूध कर कितना सेवन करना है, इसकी जानकारी रखी जाये और उसे कंट्रोल भी किया जाये.
बच्चों में खून की कमी सैयद करीम ने बताया कि अपने शोध के दौरान उन्होंने पाया कि अधिकतर संपन्न परिवार के बच्चों में खून की कमी की समस्या होती है. काउंसेलिंग के दौरान 90% मामले ऐसे आते हैं, जिनमें बच्चा दूध पर ही निर्भर रहता है. अभिभावक भी कहते हैं कि खूब दूध पीता है फिर भी कमजोर है. सैयद करीम ने बताया कि दूध में आयरन की मात्रा बहुत कम होती है. यह महज 0.2% है. दूसरी बात यह कि एक किलो दूध में 670 कैलोरी होती है. एक बच्चा अगर पूरे दिन में एक किलो दूध पी जा रहा है, तो उसका पेट इतना भर जाता है कि वह दूसरा आहार नहीं लेता. खासकर सब्जी व फल. इन दोनों को नहीं लेने से उसके शरीर में आयरन की पर्याप्त मात्रा नहीं पहुंचती. बच्चा ऐनेमिक हो जाता है. विशेषज्ञ ने बताया कि अभिभावकों को समझना होगा कि दूध संपूर्ण आहार का एक हिस्सा है,संपूर्ण आहार नहीं.
दूध बढ़ा रहा मोटापा
जरूरत से अिधक कोई भी वस्तु हानिकारक
सैयद करीम ने बताया कि जरूरत से अधिक कुछ भी चीज नुकसान पहुंचाती है. दूध के साथ भी यही मामला है. बच्चा अधिक मात्रा में दूध पीता है तो उसके शरीर में फैट की मात्रा भी बढ़ने लगती है. यह मोटापा का प्रमुख कारण है. उन्होंने बताया कि घरों में बच्चे या तो सीधा दूध लेते हैं नहीं तो फिर दूध से बनी चीजों का सेवन करते हैं. शारीरिक श्रम भी नहीं करते. धीरे-धीरे बच्चा मोटा हो जाता है. यह मामला भी अधिकतर संपन्न घरों के बच्चों में ही दिखता है. मोटापा बढ़ाने में मार्केट फूड का भी रोल है. मार्केट फूड कभी भी संपूर्ण आहार नहीं होता. इसमें मौजूद तत्व शरीर में मोटापा बढ़ाते हैं.
मोटापे से होनेवाली परेशानी
लीवर : चर्बी जमा होने से लिवर के कामकाज पर वैसा ही प्रभाव पड़ेगा जैसा बहुत अधिक शराब पीने से पड़ता है.
किडन : मोटापे की वजह से ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है. इससे किडनी को नुकसान होता है. किडनी खराब होने की पूरी संभावना बन जाती है.
ब्रेन: मोटे बच्चे डिप्रेशन से अधिक प्रभावित हाेते हैं.उनके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है.
पेंक्रियाज: चर्बी की अधिकता इंसुलिन के जरिये खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करने की क्षमता को क्षतिग्रस्त करती है. इससे टाइप 2 डायबिटीज होती है.
दिल : काेलेस्ट्रॉल बढ़ने से धमनियाें की दीवारें मोटी होती हैं. खून का प्रवाह कम होने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है.