लपारवाही l निगम में मशीन खरीद की शुरू से अपनायी गयी गलत प्रक्रिया, 2017 में बोर्ड ने िलया था निर्णय
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डी-सिल्टिंग मशीन की खरीदारी को वैध बताने की कवायद तेज
लपारवाही l निगम में मशीन खरीद की शुरू से अपनायी गयी गलत प्रक्रिया, 2017 में बोर्ड ने िलया था निर्णय जांच के नाम पर कोई बोलने को नहीं दिखा तैयार गया : पहले गलत प्रक्रिया से डी-सिल्टिंग मशीन की खरीदारी करने व आधिकारिक तौर पर मशीन को रिसीव किये बिना ही उससे वार्डों में टेस्टिंग […]
जांच के नाम पर कोई बोलने को नहीं दिखा तैयार
गया : पहले गलत प्रक्रिया से डी-सिल्टिंग मशीन की खरीदारी करने व आधिकारिक तौर पर मशीन को रिसीव किये बिना ही उससे वार्डों में टेस्टिंग कराने का मामला सामने आया है. जानकारी के अनुसार मशीन गया आ तो गयी है पर उसे निगम में अब तक रिसीव नहीं किया गया है. रिसीव की आैपचारिकता को पूरा किये बिना ही मशीन को वार्डों में टेस्टिंग के लिये भेजा जा रहा है. गौरतलब है कि निगम बोर्ड ने 2017 में उक्त मशीन खरीदने का निर्णय लिया था. सप्लायर कंपनी को आदेश मिलते ही लोगों द्वारा ब्लैकलिस्टेड कंपनी से मशीन सप्लाइ लेने के संबंध में मामला उठाया गया था. बाद में अधिकारी ने एक न सुनी व कई बार कंपनी को मशीन सप्लाइ के लिए समय विस्तार भी दिया.
इसके बाद भी मशीन की सप्लाइ नहीं मिलने पर निगम स्टैंडिंग कमेटी व बोर्ड ने सप्लाइ आदेश को ही रद्द कर दिया. इसके बाद मशीन की सप्लाइ आनन-फानन में कर दी गयी. लेकिन मामला मशीन को रिसीव करने व पेमेंट पर अटक गया है. पिछले दो माह से मशीन के पेमेंट के लिए अधिकारी द्वारा कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा था. लेकिन मेयर व डिप्टी मेयर ने इसकी फाइल पर दस्तखत करने से ही मना कर दिया. एक बार फिर कुछ पार्षद मशीन को शहर के लिए जरूरी व मशीन की क्वालिटी बेहतर बता रहे हैं. कार्यालय सूत्रों के अनुसार मशीन आने के बाद निगम स्टोर में बुधवार की देर शाम तक रिसीव नहीं किया गया है.
निगम के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निगम के सहायक अभियंता ही इस मशीन को वार्डों में भेजने का काम कर रहे हैं. यह सारा खेल कमीशन के कारण किया जा रहा है.
मशीन से होनी है अंदर ग्राउंड नालों की सफाई : शहर के अंदरग्राउंड नालों की सफाई के लिए डी-सिल्टिंग मशीन की खरीदारी का निर्णय लिया गया था. इससे पहले भी यहां मशीन को भाड़े पर मंगवाया गया था. निगम क्षेत्र में कई जगहों पर अंदरग्राउंड नालों की सफाई नहीं होने से जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. इससे निजात पाने के लिए ही मशीन की खरीदारी की जा रही है.
नियम के विपरीत दिया गया एडवांस
मशीन की कीमत 19850000 (एक करोड़ 98 लाख 50 हजार )रुपये बतायी जा रही है. टेंडर की शर्तों को दरकिनार कर कंपनी को करीब 60 लाख रुपये एडवांस भी दे दिये गये. अब निगम के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के लिए उक्त मशीन गले की हड्डी बन गयी है. अगर इस मशीन को स्वीकारा जाता है, तो कई तरह के सवाल पार्षदों द्वारा खड़े किये जायेंगे. अगर इस मशीन को अस्वीकार किया जाता है, तो एडवांस के 60 लाख रुपये वसूली की प्रक्रिया में कितने ही अधिकारी फंसेंगे. सूत्रों का कहना है कि नियम के विपरीत निगम के एक सहायक अभियंता ने कथित रूप से एडवांस भुगतान वाली फाइल पर अनुशंसा की है. उसके बाद ऊपर के अधिकारी ने इसे स्वीकृति दी है. जदयू नेता सह पूर्व पार्षद लालजी प्रसाद ने प्रमंडलीय आयुक्त को पत्र लिखकर मशीन खरीदने की प्रक्रिया की जांच कराने की मांग की है. उन्होंने पत्र में कहा है कि इस मशीन की खरीद में भारी कमीशन की बात सामने आ रही है. एक बार सप्लाई का आदेश रद्द करने के बाद दुबारा बोर्ड का आदेश पारित नहीं हुआ है.
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