जाले.समय से पूर्व तापमान में अचानक वृद्धि होने के कारण आम की पैदावार में प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका गहरा गयी है. आम के बगीचे से मंजर झरने के बाद अब टिकोला निकल आया है. तापमान में वृद्धि व पूरबा हवा के कारण काफी मात्रा में टिकोले झड़ने लगे हैं. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि आम का डंठल से गिरना प्राकृतिक भी होता है. एक आम का पेड़ अपने भारी फलों का एक निर्धारित प्रतिशत ही धारण कर सकता है. इसका केवल एक छोटा प्रतिशत ही पूर्ण आकार के फल में पक पाता है. इसके अतिरिक्त फल गिरने का एक प्रमुख कारण कीटों का प्रकोप व उच्च तापमान भी है. इसमें मैंगोमिज, कैटरपिलर, हॉपर, थ्रिप्स व फल मक्खियां नामक कीट शामिल हैं. मैंगो मिज 70 प्रतिशत तक तथा मैंगो हॉपर नामक कीट 25-60 प्रतिशत तक फल हानि का कारण बन सकता है. इस कीट से आम का फल नष्ट हो जाता है. मौसम में उतार-चढ़ाव, मिट्टी की अपर्याप्त नमी, परागण की हानि व अंडाणु गर्भपात इसके कुछ मुख्य कारण हैं. आम के पेड़ व्यावहारिक रूप से किसी भी मिट्टी में उग सकते हैं, चाहे वह रेतीली, दोमट या चिकनी मिट्टी हो, उसमें पर्याप्त गहराई व जल निकासी हो. पेड़ों से फलों के झड़ने को प्रभावित करने के लिए एक हार्मोनल स्प्रे का उपयोग किया जा सकता है. फूलों पर हार्मोन का छिड़काव करके फलों का सेट सुनिश्चित किया जाता है. नेफथलीन एसिटिक एसिड की 10 पीपीएम द्वारा फल प्रतिधारण में सुधार किया जा सकता है. रोकथाम के अन्य तरीकों में फलों को गिरने से बचाने के लिए मिट्टी में नमी बनाए रखना शामिल है. इसके परिणाम स्वरूप फल का आकार बढ़ जाता है. बढ़ते मौसम के दौरान तेज गति से चलने वाली हवाओं के कारण फलों को गिरने से बचाने के लिए बगीचों के चारों ओर विंड ब्रेक भी लगाए जा सकते हैं.
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टिकोले को झड़ने से बचाने के लिए रखें पर्याप्त नमी
जाले.समय से पूर्व तापमान में अचानक वृद्धि होने के कारण आम की पैदावार में प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका गहरा गयी है.
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