दरभंगा : तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व के दूसरे दिन रविवार की शाम कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सूबे की सरकार में भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि कोई भी पर्व समाज को बांधने के लिए होता है. मैं बचपन से मिथिला विभूति पर्व में आता रहा हूं. विद्यापति सेवा संस्थान ने पूर्व में भी कई विकास के कार्य किये हैं.
आगे भी यह करता रहेगा, ऐसी अपेक्षा है. उन्होंने इस महापर्व के माध्यम से समाज को एक सूत्र में बांधने पर बल दिया. साथ ही कहा कि हमारे गौरवशाली परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए विशेषकर युवा पीढ़ी को जागरूक एवं संवेदनशील बनाना होगा. मिथिला की पहचान यहां की संस्कृति, परंपरा एवं विद्या से रही है. इसे अक्षुण्ण रखना होगा.
मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व मंत्री सह विधान पार्षद राम लषण राम रमण ने कहा कि मिथिला-मैथिली तथा मैथिलों को सम्मान व प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए एक होना होगा. जाति, धर्म के सारे विभेद को भुलाकर एकजुट हो संघर्ष करने के बाद ही यह संभव होगा. उन्होंने बोलचाल से दूर हो रही मैथिली पर चिंता जताते हुए कहा कि बच्चों को हमें इसके प्रति सही शिक्षा देनी होगी. कमला कांत झा के संचालन में सचिव का प्रतिवेदन रखते हुए डॉ बैद्यनाथ चौधरी ने कहा कि महाकवि विद्यापति ने मैथिली को जनकंठ तक पहुंचाया. मातृभाषा के विकास के लिए नया आयाम दिया. आज इस क्षेत्र के विकास के लिए अलग राज्य की आवश्यकता है. संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ बुचरू पासवान की अध्यक्षता में स्वागत जीवकांत मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन विजयकांत झा ने किया.
रजनी को मिला मिथिला विभूति
दूसरे दिन भी एक व्यक्ति को मिथिला विभूति सम्मान प्रदान किया गया. यूपीएससी में मैथिली माध्यम से सफलता अर्जित कर अपनी मातृभूमि का मान बढ़ाने के लिए संस्थान ने इन्हें इस सम्मान से विभूषित किया. सनद रहे कि पहले दिन चार लोग के अलावा एक संस्था को यह सम्मान दिया गया था. बांकी चार के अंतिम दिन सम्मानित होने की उम्मीद है.
अपनी भाषा को अक्षुण्ण रखें मिथिलावासी : रमण
प्रवाहित होती रही विद्यापति संगीत की धारा