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जान जोखिम में डाल सर्जिकल भवन में रहने को मजबूर हैं डॉक्टर व मरीज

दरभंगा : डीएमसीएच का कई भवन मौत का कुंआ बन चुका है. ऐसे भवनों में मरीजों की जान जोखिम में है. उधर, डाक्टर मरीज का उपचार जान जोखिम पर रखकर करते हैं. वहीं दूसरी ओर कई नये भवनों में मरीजों की भर्ती शुरु नहीं हो पाया है. ऐसे भवनों के उद्घाटन के भी करीब आठ […]

दरभंगा : डीएमसीएच का कई भवन मौत का कुंआ बन चुका है. ऐसे भवनों में मरीजों की जान जोखिम में है. उधर, डाक्टर मरीज का उपचार जान जोखिम पर रखकर करते हैं. वहीं दूसरी ओर कई नये भवनों में मरीजों की भर्ती शुरु नहीं हो पाया है. ऐसे भवनों के उद्घाटन के भी करीब आठ साल बीत गये.

डीएमसीएच के मरीजों व कर्मियों के लिए यह विडंबना है कि नये भवनों में मरीज की भरती शुरू नहीं हुआ और दूसरी ओर जर्जर भवनों में मरीजों का भरती जारी है. पिछले दिनों इस जर्जर भवन का मुद्दा सीएम के समक्ष भी उठा. सीएम ने इसे तोड़ कर नया भवन बनाने का आदेश दिया है.

भवन को देख कर ही लगता है डर
डीएमसीएच का सबसे अधिक जर्जर भवन सर्जिकल भवन और नवनिर्मित कैंसर वार्ड के समक्ष स्थित सालों से जर्जर जल मीनार है. इसके अलावा आइडीएच का भवन भी इसमें शामिल है. सर्जिकल भवन की स्थिति देख लोग मरीज को यहां भर्ती कराना भूल जायेंगे. यहां की भयावह स्थिति उन्हें सोचने पर मजबूर कर देगी.
भवन के हर पीलरों का गिट्टी बाहर निकल चुका है. मात्र उसमें छड़ नजर आते हैं. साथ ही जगह जगह भवन की दीवाल क्रै क हो चुका है. वर्षा के समय छत से पानी रिसता रहता है. वार्डों के कोरिडोर का दीवाल गिर कर धराशायी हो चुका है. दरवाजा व खिड़की गायब है. सिवरेज की व्यवस्था ध्वस्त है. छत से लेकर भवन के सभी तल्लों पर पीपल, पाकड़, बर आदि के पेड़ उग आये हैं. भवन के पूरब की दीवाल पर इतना पौधा उग आया है जैसे लगता हो यहां पौधा रोपण कराया गया हो.
जर्जर घोषित हो चुका है भवन
भवन निर्माण विभाग ने करीब डेढ़ साल पूर्व इस भवन को कंडम्नेशन जर्जर घोषित कर रखा है. इसकी सूचना डीएमसीएच अधीक्षक को दिया जा चुका है. सर्जिकल भवन का उद्घाटन 1983 में हुआ था. इसमें 372 मरीजोंे के लिए बेडों की व्यवस्था है. इसमें सर्जरी एवं हड्डी रोग के मरीजों को भर्ती किया जाता है. इसके अलावा ऑपरेशन थियेटर, डाक्टरों का चैंबर की भी व्यवस्था है. सर्जिकल भवन तीन तल्ला है. इसमें 100 से अधिक बड़े एवं छोटे कमरे हैं.
एमसीआइ व नाको ने भी जतायी आपत्ति
मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) और नाको ने निरीक्षक के दौरान इस भवन में मरीजों के रखने पर आपत्ति जता चुकी है. सर्जरी व हड्डी रोग विभाग के अध्यक्षों ने भी समय समय पर सरकार को यहां उपचार व्यवस्था को लेकर पत्रों से कई बात अवगत करा चुका है. भवन का मरम्मत के लिए तत्काल दो बार उच्चाधिकारियों के आदेश हुए. इसके लिए तीन साल पूर्व 60 लाख और एक साल पूर्व 20 लाख रुपये से मरम्मत कराने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन यह मरम्मति कार्य भी रुक गया.
जर्जर हो चुका है जलमीनार
डीएमसीएच के पीएचइडी एसडीओ कार्यालय स्थित जर्जर जल मीनार सालों से खड़ा है. इसके सभी पीलरों के लंबे लंबे छड़ निकले हुए हैं. इसके नीचे यह पीएचइडी कार्यालय है. इसी परिसर मेंं कर्मियों के सरकारी आवास है. जल मीनार के चले अब इसमें 8 सालों से जलापूर्ति ठप है. भवन निर्माण विभाग ने 10 साल पूर्व जल मीनार को कं डम्नेशन घोषित कर चुका है. पीएचइडी एसडीओ कार्यालय के कनीय अभियंता गोलू रहमान ने बताया कि यह मीनार जर्जर घोषित है. कार्यालय व आवास को भी खाली कराने का आदेश दिया जा चुका है.
भवन को उद्घाटन का इंतजार
साल 1983 में मनोरोग वार्ड भवन का उद्घाटन हुआ था, लेकिन आज तक इस वार्ड में मरीजों की भर्ती शुरु नहीं हो पाया है. यह वार्ड 20 बेड का है. इस पर 64 लाख का खर्च आया था. कैंसर वार्ड भवन का निर्माण दो साल पूर्व बनकर तैयार है, लेकिन यह भवन उद्घाटन के इंतजार में है. यह वार्ड भी 20 बेड का है.
125 करोड़ से बनेगा नया भवन
अस्पताल अधीक्षक डा. एसके मिश्रा ने बताया कि सर्जिकल भवन की सारी समस्याओं के बारे में सरकार को अवगत कराया जा चुका है. इसके लिए प्रपोजल भी भेजा जा चुका है. करीब 125 करोड़ की लागत से नया भवन का निर्माण होगा, जिसकी प्रक्रिया चल रही है.

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