आखिर शहरवासी कहां फेंके कचरा
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कब तक पड़ा रहेगा डस्टबीन व कंपेक्टर ?
आखिर शहरवासी कहां फेंके कचरा स्वच्छता अभियान की उड़ रहीं धज्जियां दरभंगा : रभंगा नगर निगम ने इस शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के लिए कठिन परिश्रम किया लेकिन सफलता नहीं मिली. लेकिन दिनानुदिन सफाई कार्य में की जा रही कोताही से शहर की स्थिति बदतर हो गयी है. सफाई उपस्करों […]
स्वच्छता अभियान की उड़ रहीं धज्जियां
दरभंगा : रभंगा नगर निगम ने इस शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के लिए कठिन परिश्रम किया लेकिन सफलता नहीं मिली. लेकिन दिनानुदिन सफाई कार्य में की जा रही कोताही से शहर की स्थिति बदतर हो गयी है.
सफाई उपस्करों के रहते हुए भी निगम कर्मियों की दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण उसका उपयोग नहीं हो रहा. करीब 56 लाख की लागत से 200 डस्टबीन खरीदे गये. इनमें से कुछ डस्टबीनों को वार्डों में भेजा गया. करीब 100 से अधिक डस्टबीन विगत चार महीनों से निगम कार्यालय परिसर में पड़ा हुआ है. ठीक यही स्थिति ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत खरीदी गयी कंपेक्टर की है.
करीब 50 लाख की लागत से दो ऑटो कंपेक्टर, 92 लाख की लागत से 16 ऑटो टीपर तथा 25 लाख की लागत से 100 रिक्सा
माउंटेड ठेला की खरीददारी की गयी. इतने सारे उपस्करों एवं संविदा पर कार्यरत 365 सफाई कर्मियों को यदि शहर में सफाई कार्य में लगा दिया जाय तो यह शहर राज्य ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता के मामले में अपना मुकम्मल स्थान बना सकता है. लेकिन स्थिति बिल्कुल विपरीत है.
चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 का बजट में 1 अरब 79 करोड़ 48 लाख 43 हजार 660 रुपये आय तथा 1 अरब 77 करोड़ 70 लाख 27 हजार 663 रुपये व्यय का उपबंध किया गया है. बजट में संविदा कर्मियों के मानदेय पर 2 करोड़ 68 लाख 79 हजार 120 रुपये का भी प्रावधान किया गया है.
इसी बजट में ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के आउटसोर्सिंग मद में 2 करोड़, ईंधन(डीजल-पेट्रौल) मद में 1 करोड़, कुदाली, बेलचा, बाल्टी, झाड़ू, चूना मद में 26 लाख तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को भाड़े के ट्रैक्टरों पर 21 लाख का प्रावधान किया गया है.
जानकारी के अनुसार वर्तमान में शहर के तीन प्रधान मुख्य सड़कों वीआइपी रोड, शिवधारा-मिर्जापुर-लोहिया चौक होते हुए पंडासराय तथा सुभाष चौक से दारूभट्ठी चौक (एलएन मिश्रा पथ) में मुश्किल से दो दर्जन स्थानो ंपर भी डस्टबीन नहीं हैं.
डस्टबीन की कमी के कारण लोग निगम की ओर से निर्धारित कचरा फेंकनेवाले स्थल पर तथा कई जगह अपने घर के सामने ही कचरा डाल देते हैं. आवारा पशु उसे जहां-तहां सड़क पर बिखेर देते हैं.
यह स्थिति एक-दो जगह नहीं, बल्कि दर्जनों स्थान पर दिख जायेंगे. संसाधन की जब कमी थी वैसी स्थिति में लोग डस्टबीन के बदले सड़क पर कचरा डालते थे तथा वहां से अगले दिन सुबह उसका उठाव होता था. आखिर 56 लाख की लागत से खरीदे गये डस्टबीनों को महीनों से निगम कार्यालय में रखने का क्या औचित्य है
. ज्ञात हो कि निगम कार्यालय में मेयर गौड़ी पासवान, डिप्टी मेयर बदरूज्जमा खां बॉबी सहित अधिकांश पार्षद जाते हैं. लेकिन अबतक पार्षदों की कौन कहे, मेयर ने भी इन डस्टबीनों को वार्डों एवं प्रमुख सड़कों के किनारे लगवाने का आदेश क्यों नहीं दिया.
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