दरभंगा : सुबह के करीब साढे छह बजे हैं. दरभंगा टावर पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है. एक गाड़ी आकर लगती है. उस पर पारा मिलिट्री फोर्स के जवान हैं. सब उतरकर सत्तू की दुकान पर पहुंचकर सत्तू पीने के बाद वहां से तुरंत अपने बूथों की ओर रवाना हो जाते हैं. अन्य दिनों की भांति गुरुवार की सुबह कोई चहल पहल नहीं थी.
पूरी तरह सन्नाटा पसरा था. यही हाल भगत सिंह चौक, मिर्जापुर चौक, जेपी चौक समेत शहर के अन्य हिस्सों का भी रहा. हां, बूथों की ओर से सुबह से मतदान करने को लेकर लोग जाते रहे. जेपी चौक पर साठ वर्षीय मो. अब्दुल मियां हाथ में आइकार्ड लिये तेजी से बूथ की ओर जा रहे हैं. पूछने पर कहते हैं, जल्दी नहीं पहुंचेंगे तो भीड़ में फंस जायेंगे. सीता देवी अपने पति सुमन लाल के साथ इस तरह बढ़ते जा रहे थे जेसै ट्रेन पकड़ने के लिए जा रही हों.
पूछने पर बताया वोट गिराकर लौटने के बाद ही खाना बनेगा. सबों में मतदान के प्रति उत्साह था. बूढ़े हों या जवान सभी ‘पहले मतदान फिर जलपान’ करने के चुनावे नारे को सच करने में जुटे थे. दरभंगा टावर पर चाय की दुकान चलाने वाले शंभू मंडल तो आज अपनी दुकान पर आया ही नहीं. उनकी माता जी ने बताया आज वोट है. वह आयेगा थोड़े ही.
वोट गिराने गया है. हालांकि पति कृष्णा मंडल के वोट गिराकर लौटने के बाद वह भी दुकान छोड़कर वोट गिराने के लिए गयी. पूछने पर कृष्णा मंडल ने बताया वोट तो गिराना ही था. राजकुमार गंज के निकट साइकिल से बूथ की ओर जा रहे श्याम कुमार कहता है पहली वार वोट गिराये हैं. बहुत मजा आया. उसका नाम पहली बार वोटर लिस्ट में शामिल हुआ है.
स्टेशन रोड में मंदिर के पास सब्जी बेचने वाली सत्तर वर्षीया सुकुमारी को वोट के प्रति कोई रुचि नहीं है. वह बोली- कि होतई वोट खसा के. सब जीत कअ जेतै त अपने पेट भरतय. गरीब के के देखअ वाला छय. दोनार चौक से आगे बढ़ेते ही रामफल मिश्रा अपनी पत्नी के साथ वोट गिराने के लिए जा रहे हैं. वे कहते हैं कि जल्दी से वोट खसा कअ निकल जेबै.
एक वोट के महत्व छय न यौ. इसी बीच प्रेक्षक की गाड़ी गुजरती है. निकट के बूथ पर पहुंचकर जायजा लेते हैं. फिर वहां से तुरंत अगले मतदान केन्द्र के लिए रवाना हो जाते हैं. लहेरियासराय टावर के पास भी सन्नाटा है. अन्य दिनों में यहां पर जाम की स्थिति बनी रहती है. आज पूरी तरह सन्नाटा था. इसी बीच एक बाइक पर तीन युवक काफी स्पीड में गुजरते हैं.
पूछने पर स्थानीय एक व्यक्ति ने बताया एक प्रत्याशी के लिए वोटरों को सुबह से ही ढो रहा है. लोहिया चौक पर खड़े दो व्यक्ति आपस में बात कर रहे हैं. वे दोनों एक दूसरे से टटोल रहे हैं कि हवा किसके पक्ष में है. आगे बढ़ने पर नीम चौक के निकट मो. जमाल मिलते हैं. वे वोट गिराकर लौट रहे थे. पूछने पर कहा- हम लोग विकास के नाम पर वोट किये हैं.
फिर आगे बढ़ने पर साठ वर्षीया परवतिया देवी अपने बहू के साथ वोट गिराने के लिए जा रही है. पूछने पर कहती है – वोट गिरैनाय जरूरी छय. घरवाला कहलखिन बहूओ के ले जाउ. जायछीयै वोट खसा देबई. वे दोनों हाथ में पर्ची भी रखी हुई थी जिस पर क्रमांक अंकित था.