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रेलवे की जमीन पर वसूली

जगह परिवर्तन से स्टैंड संचालक की बल्ले-बल्ले दरभंगा : दरभंगा जंकशन पर यात्राियों के लिए प्रवेश करना या फिर बाहर निकलना बड़ा कष्टकारक हो गया है. तीनों प्रवेश द्वार ऑटो चालक, रिक्शा व भाड़े के वाहन से हमेशा जाम रहने के कारण पैदल गुजरना भी मुश्किल हो रहा है. तीनों गेट को ये सभी हमेशा […]

जगह परिवर्तन से स्टैंड संचालक की बल्ले-बल्ले
दरभंगा : दरभंगा जंकशन पर यात्राियों के लिए प्रवेश करना या फिर बाहर निकलना बड़ा कष्टकारक हो गया है. तीनों प्रवेश द्वार ऑटो चालक, रिक्शा व भाड़े के वाहन से हमेशा जाम रहने के कारण पैदल गुजरना भी मुश्किल हो रहा है. तीनों गेट को ये सभी हमेशा जाम कर रखते हैं.
जंकशन का लुक बेहतर करने व यात्राियों की परेशानी कम करने के नजरिये से रेल प्रशासन ने मुख्य भवन के सामने से टैक्सी स्टैंड को हटवा दिया. इससे राहत मिलने के बदले यात्रियों की परेशानी बढ़ गयी है. इसके निदान के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट महीनों गुजर जाने के बाद भी नहीं आ सका है. लिहाजा परेशानी बदस्तूर जारी है. वहीं दूसरी ओर स्टैंड संचालक चांदी काट रहे हैं. रेलवे की जमीन पर लगे वाहनों से भी खुलेआम वसूली कर रहे हैं. इसे देखने वाला कोई नहीं है.
ट्रेन आते ही जाम हो जाता गेट
जंकशन पर जब लंबी दूरी की कोई गाड़ी पहुंचती है तो स्थिति और विकट हो जाती है. सवारी चढ़ाने के लिए ऑटो चालक अब तो मुख्य भवन के सामने पोर्टिको के पास गाड़ी लगा देते हैं. आलम यह होता है कि यात्रियों के लिए पैदल आवागमन करना भी मुश्किल होता है. इस वजह से स्टेशन रोड भी घंटों जाम रहता है. यहां बता दें कि जंकशन पर प्रतिदिन औसतन 35 हजार यात्री आवागमन करते हैं. लिहाजा भीड़ कितनी होती है इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
रेलवे की जमीन से वसूली
ठेकेदार रेलवे की जमीन पर वाहन खड़ी करनेवालों से भी वसूली करते हैं. खुलेआम रसीद थमाकर राशि की उगाही करते हैं. यह तो दूसरा पहलू है कि तय दर से कई गुणा अधिक पैसा लेते हैं.
सवाल यह है कि अवैध तरीके से ही अगर कोई निजी वाहन चालक दुर्गा मंदिर के सामने या फिर मुख्य भवन के उत्तर अपनी गाड़ी लगाते हैं तो ठेकेदार के कर्मी उनसे पैसा वसूल लेते हैं.
लोगों का कहना है कि अगर पैसा वसूला ही जाता है तो रेलवे इसे ले. इससे कम से कम विभाग का कोष तो भरेगा. इतना ही नहीं तत्काल नव निर्मित टिकट घर के सामने के भू-भाग का उपयोग करने का आदेश मिलने के कारण वहां से तो वसूली होती है.
कोई नहीं दे रहा ध्यान
विभाग को प्रतिदिन लग रही चपत व यात्राियों की परेशानी की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा. कभी-कभी नो पार्किग से आरपीएफ वाहन को जब्त करती है, लेकिन इस समस्या के निदान के लिए कोई परिणा मदायी पहल नहीं कर रहे. विभाग के वरीय अधिकारी जब आते हैं तो परिसर व्यवस्थित नजर अता है.न तो अवैध फलों की दुकान कहीं दिखती है और न ही बेतरतीब वाहन ही नजर आते हैं.
डीआरएम ने की पहल
जंकशन के सामने से टैक्सी स्टैंड हटाने के लिए तत्कालीन डीआरएम अरुण कुमार मल्लिक ने पहल की. उन्होंने ठेके की शर्त के अनुरूप जमीन दूसरी जगह देने का निर्देश दिया. इसी बीच रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा का आगमन हो गया. आनन-फानन में स्टैंड को वहां से हटा दिया गया.
साइकिल स्टैंड वाला स्थान उसे दे दिया गया, लेकिन 11 जनवरी की शाम मंत्री के जाते ही ठेकेदार वापस पुरानी जगह पर दुबारा लौट गया. इसके बाद जब रेल अधिकारियों ने इसके लिए कोशिश की तो ठेकेदार ठेकेदारी पर उतर आया. इसके बाद एक बार फिर इसके लिए प्रयास तेज हुआ. अंतत: फिर से जब श्री मल्लिक का आगमन हुआ तो इस समस्या का निदान हो गया. टैक्सी स्टैंड को निर्धारित स्थान पर भेज दिया गया.
बढ़ गयी परेशानी
फूड प्लाजा के सामने पश्चिम पुराने साइकिल स्टैंड वाले जगह पर टैक्सी स्टैंड को शिफ्ट कर दिया गया. इस पर ठेकेदार ने वाहन के प्रवेश व निकास के लिए रास्ता नहीं होने की परेशानी रखी.
इस पर डीआरएम ने एक कमेटी गठित कर दी. शीघ्र इसके लिए रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. इसमें एडीआरएम बीएस दोहरे, सीनियर डीसीएम जफर आजम सहित अन्य अधिकारियों को शामिल किया गया. यह निर्देश जनवरी में ही दिया गया. चार माह बीतने के बाद भी आजतक इस कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ सकी है.

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