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आसमान में छाये रहेंगे बादल, होगी बूंदाबांदी

दरभंगा : उत्तर बिहार के जिले में 13 से 17 मई तक आसमान में हल्के बादल छाये रहेंगे. इस दौरान तराई के आसपास हल्की बूंदाबांदी भी हो सकती है. हालांकि आमतौर पर मौसम शुष्क रहने की संभावना है. मौसम विभाग ने बुधवार को जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा है कि इस दौरान 15 से 20 […]

दरभंगा : उत्तर बिहार के जिले में 13 से 17 मई तक आसमान में हल्के बादल छाये रहेंगे. इस दौरान तराई के आसपास हल्की बूंदाबांदी भी हो सकती है. हालांकि आमतौर पर मौसम शुष्क रहने की संभावना है.
मौसम विभाग ने बुधवार को जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा है कि इस दौरान 15 से 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चल सकती है. पूर्वानुमान की अवधि में सतही हवा तेज चलने की संभावना है. इस दौरान न्यूनतम तापमान 24 से 29 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है.जबकि अधिकतम तापमान के 35 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है.
खेतों की मिट्टी की जांच करा करें जुताई
कृषि वैज्ञानिक ने किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा है कि किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवा लें तथा खरपतवार, रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए पड़ती खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई एवं खेतों की समतलीकरण कर लें. हरी खाद के लिए सनई और ढ़ैचा की बुआई तथा हरा चारा के लिए मक्का, ज्वार, बाजरा एवं लोबिया की बुआई करें. ओल की रोपाई 75-75 सेन्टी मीटर की दूरी पर करें. रोपाई के लिए 0.5 किलोग्राम के कंद का व्यवहार करें.
रोपाई से पूर्व कटे कन्द को टइकोडर्मा भिरीडी के 5.0 ग्राम मात्र को प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर उपचारित करने के बाद लगायें ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके.
गेहूं एवं मक्का के दानों को अच्छी तरह धूप में सूखाने के बाद भंडारण करें. गर्मी वाली सब्जियां जैसे भिंडी, नेनुआ, करैला, लौकी, और खीरा की फसल में आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करें. खीरा वर्गीय फसलों में चूर्णील फफूंदी नामक बीमारी से बचाव के लिए 0.06 प्रतिशत केराथेन नामक दवा का छिड़काव करें. लत्तर वाली सब्जियों जैसे नेनुआ, करैला, लौकी, और खीरा में लाल भृंग कीट से बचाव के लिए डाइक्लोरफास 76 ईसी दवा को 1 मिली प्रति ली. पानी में घोल कर छिड़काव करें. भिंडी फसल में माइट कीट की निगरानी करते रहे.
प्रकोप दिखाई देने पर ईथियांन नामक दवा के 1़5 से 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. दूधारु पशुओं के रख-रखाव एवं खान पान पर विशेष ध्यान दें. खाने में प्रोटीन की मात्र बढ़ा दें. दुधारु पशुओं को नियमित रुप से दाने के साथ कैल्सियम भी खिलायें. पशुओं को अधिक मात्र में स्वच्छ पानी पिलायें.

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