दरभंगा : ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. रजाई से बाहर कदम निकालने की हिम्मत नहीं हो रही. मजबूरी होने पर ही लोग घर से बाहर निकल रहे हैं. बाहर निकलने की कौन कहे बिस्तर से नीचे कदम निकालते हैं.
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ठंड किसे नहीं लगती बाबू, लेकिन छोड़ दें काम तो कैसे चलेगी समाज की गाड़ी
दरभंगा : ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. रजाई से बाहर कदम निकालने की हिम्मत नहीं हो रही. मजबूरी होने पर ही लोग घर से बाहर निकल रहे हैं. बाहर निकलने की कौन कहे बिस्तर से नीचे कदम निकालते हैं. किसी तरह इस विकराल मौसम में दिन गुजार रहे हैं. दैनिक जरूरतों […]
किसी तरह इस विकराल मौसम में दिन गुजार रहे हैं. दैनिक जरूरतों के सामान के लिये दूसरे व्यक्तियों पर ही निर्भर हैं. जिस मौसम में आमजन घर से बाहर झांकने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे उस विकराल मौसम में सब्जी वाले, पेट्रॉल पंप कर्मियों के साथ सुबह-सुबह देश दुनिया की खबर से रू-ब-रू कराने के लिये समाचार पत्र विक्रेता जान जोखिम में डाल ठंड की परवाह किये बगैर लोगों की परेशानी को कम करने में जुटे हैं. भले ही वे अपने पेट की आग ठंडी करने के लिये मजबूरी में अपना काम करते हैं, लेकिन इस प्रतिकूल मौसम में उनके कारण ही पूरे समाज की गाड़ी बेपटरी ही सही चल रही है.
पेट के आग के आगे ठंड मायने नही रखता. हमारी भी इच्छा इस कड़ाके के पड़ रही ठंड में निकलने का नही करता है. मजबूरन निकलना पड़ता है. ठंड की चिंता करने लगेंगे तो पंप पर पेट्रॉल व डीजल लेने के लिये अपने वाहन लेकर पहुंचने वाले लोगों को जरूरत कैसे पूरा होगा. सुबह सात बजे घर से पंप पर पहुंचने के लिये निकलना पड़ता है. रात नौ बजे छुट्टी कर घर लौटते है. – राकेश कुमार, नोजल मैन
बाबू हम ठंडा के चिंता करबई त हमर ग्राहक के सब्जी देवे के चिंता के करतई. गरीबों के ठंडा लगइ छई. रोजाना तरौनी से सुभाष चौक पर फुटपाथ पर सब्जी बेचने आती हूं. सब्जी लेकर घर से निकलने पर हाथ के हाथ नही दिखता है. फिर भी नित्य सब्जी लेकर बिक्री के लिये मजबुरी में निकलना पड़ता है. सब ठंड से घर पर ही रहेंगे, तो लोगों को खाने की सब्जी कैसे मिलेगा.
जिवछी देवी, सब्जी विक्रेता
ठंडा किसे नही लगता. इस मौसम में कौन अपने घर परिवार को छोड़ निकलना चाहता है. हाड़-मांस का मै भी बना हूं. लेकिन मैं घर बैठ जाउंगा तो घर व लोगों की जरूरत कैसे पूरा होगा. लोगों को स्थानीय व देश दूनिया की घटना की जानकारी कैसे मिलेगा. इसका भी ख्याल रखना पड़ता है. यह कहना है
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